राष्ट्रनायक न्यूज।
पाकिस्तान की आम लड़कियों की तरह ही मलाला यूसुफजई ने चौबीस की उम्र में ब्याह रचा लिया। इसलिए अब दूसरी आम पत्नियों की तरह वह भी अपने पति और संतानों की देखभाल में व्यस्त हो जाएंगी। मलाला के पति पाकिस्तानी हैं। पाकिस्तान के मर्द पुरुषतांत्रिक माहौल में पनपते हैं। स्त्री की आजादी पर भला वे कितना भरोसा करते हैं कि मलाला को उनके पति उनकी राह पर चलने देंगे, स्त्री शिक्षा के लिए आंदोलन करने देंगे? मलाला स्वात घाटी की कोई सामान्य लड़की नहीं हैं, वह तो दुनिया की करोड़ों लड़कियों के लिए आइकन की तरह हैं। विश्व में लगभग 13 करोड़ लड़कियां ऐसी हैं, जिन्हें पढ़ने का अवसर नहीं मिल रहा। इन करोड़ों लड़कियों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करना बहुत बड़ा काम है। अमूमन पूरा जीवन विश्व शांति के लिए खपा देने पर कहीं जाकर शांति का नोबेल पुरस्कार मिलता है। लेकिन चूंकि तालिबान ने मलाला को गोली मारकर सनसनी फैला दी थी, इस कारण बड़ा काम करने से पहले ही जीवन की शुरूआत में मलाला यूसुफजई को शांति का नोबेल मिला था। ऐसे में, उचित तो यही है कि मलाला जीवन भर लड़कियों की शिक्षा और शांति स्थापित करने की अपनी मुहिम में लगी रहें।
लेकिन अपनी गृहस्थी संभालते हुए दुनिया की तेरह करोड़ बालिकाओं की शिक्षा के लिए आंदोलन करना आसान नहीं है। चूंकि मलाला ने लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाई थी, इस कारण खुद शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल कर वह दुनिया भर की लड़कियों के लिए मिसाल बन सकती थीं। शिक्षा प्राप्ति के लिए जो अवसर मलाला को मिला, वैसा मौका दुनिया की अधिकांश लड़कियों को नहीं मिलता। ऐसे में, मलाला के लिए उचित यही था कि मिले हुए अवसर का वह सदुपयोग करें। अब दुनिया भर की लड़कियां मलाला यूसुफजई से क्या सचमुच कुछ सीख पाएंगी? पिछड़े समाज में अमूमन लड़कियों की कम उम्र में शादी कर दी जाती है और शादी के बाद लड़कियां पति और ससुराल पर निर्भर हो जाती हैं। अपने उदाहरण से मलाला इस समाज व्यवस्था को बदल सकती थीं। लेकिन शादी के उनके फैसले से तो ऐसा नहीं लगता। मलाला ने कहा था कि उसे विवाह व्यवस्था पर विश्वास नहीं है और वह समझ ही नहीं पाती कि लोग शादी करते क्यों हैं। यह कहने के तीन महीने के भीतर मलाला ने खुद शादी कर ली। ऐसे में, मलाला की बातों पर कोई कितना भरोसा करे? मलाला की शादी से उन लोगों को निराशा हुई होगी, जो उनसे स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा आंदोलन खड़ा करने की उम्मीद कर रहे थे।
हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि शादी मलाला का व्यक्तिगत मामला है, इसलिए किसी को इस पर आपत्ति करने का अधिकार नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि मलाला की शादी जोर-जबर्दस्ती से की गई है। किसी दूसरे व्यक्ति को इस निष्कर्ष पर भी क्यों पहुंचना चाहिए कि मलाला ने जिसे पति के रूप में चुना है, वह अच्छा आदमी नहीं है? मलाला के व्यक्तिगत जीवन पर टीका-टिप्पणी करने के बजाय लोगों को इंतजार करना चाहिए। मलाला शादी करने के बाद भी स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर काम करते हुए अपने आलोचकों को झुठला सकती हैं। मलाला स्त्री शिक्षा के लिए आंदोलन कर रही हैं, तो इसका मतलब यह भी नहीं है कि अपने जीवन में प्रेम जैसी अनुभूतियों और विवाह जैसे संबंधों को तिलांजलि देकर उसे संन्यासी का जीवन व्यतीत करना होगा। बल्कि पति का अगर सहयोग मिला, तो मलाला अपने जीवन में बड़ा काम कर सकती हैं, बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकती हैं।
ऐसे भी लोग हैं, जिनका मानना है कि मलाला यूसुफजई भविष्य में पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं। इसके लिए जो-जो गुण चाहिए, मलाला उन सबका परिचय दे रही हैं। उदाहरण के लिए, वह आम लोगों के सामने हमेशा अपना सिर ढंकती हैं। अपने हर भाषण की शुरूआत वह अल्लाह के नाम से करती हैं। इसी कारण उन्होंने एक पाकिस्तानी से शादी की। इसका नतीजा यह है कि पाकिस्तान के परंपरावादी लोग मलाला को चाहने लगे हैं। खुद मलाला के पिता भी उन्हें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। चूंकि पाकिस्तानियों के जीवन में क्रिकेट का बहुत महत्व है, इसलिए मलाला ने जान-बूझकर एक ऐसे व्यक्ति को अपने पति के रूप में चुना है, जिसका क्रिकेट से रिश्ता है। यही नहीं, हाल ही में हुए टी-20 विश्व कप में पाकिस्तान द्वारा भारत पर जीत की खुशियां मनाते हुए मलाला ने पति के साथ केक भी काटा।
एक और चीज ध्यान में रखनी चाहिए कि दुनिया भर में अन्याय का मुखर विरोध करने वाली मलाला ने कश्मीरी पंडितों के विस्थापन पर कभी कुछ नहीं कहा। वास्तविकता यह है कि मलाला एक परंपरावादी महिला हैं, जिन्हें पश्चिम ने प्रसिद्ध बना दिया है। इसलिए धर्म और परंपरा से बंधी एक महिला से ज्यादा कुछ उम्मीद नहीं करनी चाहिए। हालांकि बहुत लोग मानते हैं कि मलाला के प्रधानमंत्री बनने से पाकिस्तान की छवि ही बेहतर होगी और वैसी स्थिति में खुद वह पाकिस्तान को विकास के सभी पैमाने पर आगे ले जाने के लिए हरसंभव कदम उठाएंगी। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि सिर का पल्लू न हटाने वाली बेनजीर भुट्टो को भी आखिरकार कट्टरपंथियों की गोलियों का शिकार होना पड़ा था। ऐसे में, मलाला अगर कभी प्रधानमंत्री बनती हैं, तो वह एक बार फिर तालिबान के निशाने पर आ सकती हैं। जहां तक मेरी बात है, तो सच यह है कि मैंने सोचा नहीं था कि मलाला यूसुफजई इतनी कम उम्र में शादी का फैसला कर लेंगी। मलाला ने आॅक्सफोर्ड से ग्रेजुएशन किया है। कुछ लोग कह रहे हैं कि वह और पढ़ाई करेंगी। लेकिन शादी के बाद मलाला की पढ़ाई और आगे न बढ़े, तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा। भविष्य में मलाला अगर बुर्का पहनने लगें, तो भी मुझे कोई हैरानी नहीं होगी।
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