नई दिल्ली, (एजेंसी)। रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया। उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस नाम की चर्चा गाहे-बगाहे खूब हो जाती है। चाहे सत्ता किसी की भी हो, उसमें राजा भैया की भागीदारी रहती ही रहती है। समाजवादी पार्टी और भाजपा की सरकारों में राजा भैया की तूती बोलती थी। लेकिन मायावती के साथ उनके रिश्ते सामान्य नहीं रहे। मायावती और राजा भैया के बीच सियासी दुश्मनी की शुरूआत साल 1997 में होती है। जब मायावती भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी थीं। उस वक्त भाजपा और बसपा में डील हुई थी वह भी 6-6 महीने के मुख्यमंत्री पद पर। मायावती 6 महीने का मुख्यमंत्री कार्यकाल पूरा कर चुकी थीं और अब बारी भाजपा की थी। हालांकि मायावती सत्ता हस्तांतरित करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थीं। लेकिन सियासी दबाव में मायावती को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। फिर कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने। लेकिन कुछ महीने में ही मायावती ने अपना समर्थन वापस ले लिया। ऐसे में भाजपा के लिए सरकार को बचाना सबसे बड़ी चुनौती थी। यहां एंट्री होती है रघुराज प्रताप उर्फ राजा भैया की।
ऐसे शुरू हुई दुश्मनी: राजा भैया ने भाजपा सरकार बचाने के लिए कांग्रेस और बसपा विधायकों को तोड़ लिया और कल्याण सिंह की सरकार बचाने में मदद की। कल्याण सिंह ने राजा भैया को फिर अपने सरकार में मंत्री बना दिया। यहीं से शुरू हो गई मायावती और राजा भैया के बीच की राजनीतिक दुश्मनी। एक बार फिर से कुछ ऐसी ही परिस्थिति 2002 में बनी जब बसपा और भाजपा की सरकार थी। गठबंधन लगातार हिचकोले खा रही थी। ऐसे में राजा भैया ने गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश की। उन्हें इनाम देते हुए भाजपा ने मायावती की कैबिनेट में राजा भैया को मंत्री बनाने का प्रस्ताव भेजा। लेकिन मायावती ने साफ तौर पर इंकार कर दिया। इतना ही नहीं, इसी साल भाजपा विधायक पूरन सिंह बुंदेला की शिकायत पर मायावती ने राजा भैया को आतंक निरोधक अधिनियम के तहत गिरफ्तार करवा कर जेल में भी डलवा दिया। इसके बाद मायावती ने राजा भैया की हवेली में पुलिस का छापा तक डलवा दिया। हवेली से काफी हथियार भी बरामद हुए थे। राजा भैया पर पोटा लगाया गया था। उनके पिता उदय प्रताप सिंह और चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को भी अपहरण और धमकी देने के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था।
राजा भैया के खिलाफ एक्शन जारी रहा: मायावती का राजा भैया के खिलाफ एक्शन जारी रहा। प्रतापगढ़ स्थित राजा भैया की रियासत की कोठी के पीछे 600 एकड़ में फैली तलाब को भी मायावती ने खुदवा दिया। कहा जाता है कि इस तालाब से नरकंकाल भी मिले थे जिसके बारे में कई कहानियां बताइए बताई जाती रही है। कहा जाता है कि राजा भैया इसमें घड़ियाल पाल रखे थे और अपने दुश्मनों को उसी में फेंकवा दिया करते थे। हालांकि राजा भैया ने इस दावे का बार-बार खंडन किया।
उस तालाब को मायावती ने सरकारी कब्जे में ले लिया था और इसे भीमराव अंबेडकर पक्षी विहार घोषित करवा दिया था। यही एक गेस्ट हाउस भी बनवा दिया गया था। राजा भैया अगले 10 महीनों तक अलग-अलग जेलों में बंद रहे। मायावती की सरकार 2003 में गिर गई। मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने। राजा भैया जेल से रिहा हुए। मुलायम सिंह की सरकार में राजा भैया मंत्री भी बने। राजा भैया के तालाब को पक्षी विहार में तब्दील करने वाले मायावती सरकार के फैसले को मुलायम सिंह ने पलट भी दिया। हालांकि मायावती का राजा भैया से अदावत जारी रहा। सत्ता में आने के बाद मायावती ने फिर से उस तालाब को पक्षी विहार बनवा दिया और 2010 के पंचायत चुनाव में एक प्रत्याशी की हत्या के आरोप में फिर से राजा भैया को गिरफ्तार करवा लिया था।
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