हरीहन त्अ भ़ऊजी पगल़ईहन
पानी पी पी के गरीय़ईहन
जे जे बनल रहे खासमखास
उनका उनका से फरीय़ईहन।।
हरीहन त भ़ऊजी पगल़ईहन।
सबके साथ होईत, हमर विकास होईत
इहे कह कह के पछत़ईहन।
हरीहन त भ़ऊजी पगल़ईहन।।
बाबा से पतरा बचव़ईहे, सबका के दुअरा बोलव़ईहे
जे जे ले ले रहे जीत के ठीका,
उनकर उनकर नाँव सरिय़ईहन
हरीहन त भ़ऊजी पगल़ईहन।।
दारु मुरगा आ देनी बटनी नोट
तबहूँ ना आऐल दसो गो वोट
सबका से खरचा गिनव़ईहन
हरीहन त भ़ऊजी पगल़ईहन।।
दुअरा दुसरा पोस्टर लगव़ईनी
सभनी से बेसस खरचा क़ईनी
उकटा पुरान घर घर जा करीहन
हरीहन त भ़ऊजी पगल़ईहन ।।
अब भ़ऊजी से, बनिहे भ़ऊजाई
के उनका से आँख मिलाई
उनकर उनकर खाता खोलव़ईहन
हरीहन त भ़ऊजी पगल़ईहन।।
लेखक, सूर्येश प्रसाद निर्मल।
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