कोरोना कहर: बिहार में जूनियर डॉक्टर-इंटर्न के भरोसे कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज, सरकार ने लगाई ‘फटकार’
पटना। कोरोना वायरस यानी कोविड-19 संकट के दौरान बिहार में कोरोना मरीजों के इलाज में लापरवाही का मामला सामने आया है। बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत ने कोरोना वायरस यानी कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज के संबंध में तीन मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों और अधीक्षक को पत्र भेजा है। पत्र में कहा कि गया है कि ऐसी शिकायत मिल रही हैं कि कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में चिकित्सा कार्य सिर्फ जूनियर डॉक्टर, इंटर्न और परास्नातक छात्रों के माध्यम से किया जा रहा है। खासकर तौर पर जिन मामलों में मरीज को दो गंभीर बीमारियां हैं, वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा उन्हें विशेष चिकित्सा सुविधा प्रदान नहीं की जा रही है। प्रधान सचिव ने अपने निर्देश में कहा, “कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कम से कम सह-प्राध्यापक स्तर के चिकित्सक की सीधी निगरानी में कराया जाए। साथ ही दो गंभीर बीमारियां होने पर विशेषज्ञ वरिष्ठ डॉक्टर से अनिवार्य रूप से सलाह ली जाए।” इसके अलावा, संस्थान में प्रत्येक कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति की मौत का डेथ रिव्यू या ऑडिट वरिष्ठ चिकित्सकों के स्वतंत्र बोर्ड से कराया जाए। साथ ही मरीज की मौत के दो दिन के अंदर रोग नियंत्रण विभाग के प्रमुख, निदेशक को इसकी जानकारी दी जाए। बिहार में कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या 26,569 पर पहुंच गई है। 200 से ज्यादा मरीजों की इस वायरस की वजह से जान जा चुकी है। विपक्षी पार्टियां कोरोना के मोर्चे पर नीतीश सरकार पर निशाना साध रही हैं।


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