- जिले में 19 से 26 जून तक होगा नाइट ब्लड सर्वे:
- लैब टेक्नीशियन एवं प्रखंड स्तरीय कर्मी को दिया गया प्रशिक्षण:
- फाइलेरिया के परजीवी रात में होते हैं सक्रिय: सिविल सर्जन
- सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी इसकी जांच कराएं: डीवीबीडीसीओ
- जिले के चिह्नित 28 गांवों में लिए जाएंगे रक्त के नमूने: डब्ल्यूएचओ
राष्ट्रनायक न्यूज।
पूर्णिया (बिहार)। जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर 19 से 26 जून तक नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जाएगा। जिसके तहत ज़िले के सभी 14 प्रखंडों के दो-दो गांवों एवं पूर्णिया नगर निगम के शहरी क्षेत्र के 08 चयनित स्थलों पर रात्रि में लोगों का ब्लड सैंपल लिया जायेगा। ब्लड सैंपल जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि किन-किन व्यक्तियों में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। अभियान को सफल बनाने के लिए सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी की अध्यक्षता में जिले के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर के सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। नाइट ब्लड सर्वे के सफल आयोजन के लिए स्वास्थ्य विभाग, सहयोगी संस्थाओं के साथ आपसी समन्वय स्थापित कर कार्य करेंगे। जिले के सभी प्रखंडों से आए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मियों को प्रशिक्षण संबंधी महत्वपूर्ण विषयों एवं नाइट ब्लड सर्वे के संबंध में कई तरह के महत्वपूर्ण आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया। इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी, डीवीबीडीसीओ डॉ राजेन्द्र प्रसाद मंडल, वीडीसीओ रवि नंदन सिंह, डीवीबीडी सलाहकार सोनिया मंडल, डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ दिलीप कुमार, केयर इंडिया डीपीओ चंदन कुमार सहित जिले के सभी प्रखंडों के एमओआईसी, एमओ, बीसीएम एवं लैब टेक्नीशियन उपस्थित थे।
फाइलेरिया के परजीवी रात में होते हैं सक्रिय: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान बताया कि जिले में नाइट ब्लड सर्वे की तैयारी शुरू कर दी गयी है। प्रत्येक प्रखंड में एक रैंडम और एक सेंटीनल साइट पर नाइट ब्लड सर्वे किया जाएगा। इस दौरान लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाएंगे। जिसे जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। चूंकि खून में फाइलेरिया के परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट का पता चल पाता हैं। जिसको शत प्रतिशत पूरा करने के लिए नाइट ब्लड सर्वे के लिए चार सदस्यीय टीम बनाई जाएगी। नाइट ब्लड सर्वे की गतिविधियों का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर को जानना है। नाइट ब्लड सर्वे से यह पता चलेगा कि जिले भर में कितने लोगों में फाइलेरिया का पैरासाइट मौजूद है। फाइलेरिया का पारासाइट रात में ही सक्रिय होता है। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे में रात 8 बजे से 12 बजे रात के बीच ही ब्लड सैंपल लिया जाएगा।
सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी इसकी जांच कराएं: डीवीबीडीसीओ
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ राजेन्द्र प्रसाद मंडल ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में बताया कि इस कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया के प्रसार को रोकना है। नाइट ब्लड सर्वे के दौरान सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी जांच करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया या हाथी पांव के लक्षण सामान्य रूप से शुरू में दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन इसके परजीवी शरीर में प्रवेश करने के बाद इसका लक्षण लगभग पांच से दस सालों बाद दिखाई दे सकता हैं। इसलिए सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी इसकी जांच कराएं। फाइलेरिया एक घातक बीमारी है। यह साइलेंस रहकर शरीर को खराब करती है। फाइलेरिया एक परजीवी रोग है, जो एक कृमि जनित मच्छर से फैलने वाला रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते लेकिन बुखार, बदन में खुजली व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसील की सूजन, फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे.धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसका कोई ठोस इलाज नहीं है। लेकिन इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है।
जिले के चिह्नित 28 गांवों में लिए जाएंगे रक्त के नमूने: डब्ल्यूएचओ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ दिलीप कुमार ने कहा कि विभागीय स्तर पर चिह्नित किए गए जिले के 28 गांवों एवं शहरी क्षेत्रों के 08 स्थलों में रात्रि के समय स्थानीय ग्रामीणों के रक्त का नमूना लिया जाएगा। प्रत्येक प्रखंड में एक रैंडम और एक सेंटीनल साइट पर नाइट ब्लड सर्वे किया जाएगा। वहां नाइट ब्लड सर्वे टीम के सदस्य 20 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों का सैंपल एकत्र करेंगे। एक साइट पर 300 और दूसरे साइट पर भी 300 यानि कुल 600 लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाएंगे। जिसे जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। उन्होंने यह कहा कि इस अभियान के तहत रक्त संग्रह केंद्रों पर ग्रामीणों को बुलाने के लिए आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविकाओं सहित अन्य कर्मियों का सहयोग लिया जाएगा। अभियान की सफलता के लिए गांव स्तर पर विभिन्न माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
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