17 अक्टूबर को कलस स्थापना से शुरू होगा नवरात्र, इस बार माता का आगमन अश्व पर और गमन भैंसे पर होगा
धर्मेन्द्र कुमार की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
छपरा (सारण)। 17 अक्टूबर को कलस स्थापना के साथ नवरात्र शुरू हो जायेगा।प्रखण्ड के नारायणपुर निवासी आचार्य मनपूजन त्रिवेदी के अनुसार इस बार माता का आगमन अश्व पर और गमन भैंसे पर होगा।शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि,नौ नक्षत्र,नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। नवरात्रि 17अक्तूबर शनिवार से शुरू होगी और 26 अक्तुबर 2020 सोमवार को दुर्गा विसर्जन के साथ समापन्न होगा।17 अक्तुबर शनिवार को कलश की स्थापना की जाएगी।
इस पर्व को विशेष महत्व बताया गया है नौ दिनों तक अलग-अलग माताओं की विभिन्न पूजा उपचारों से पूजन, अखंड दीप साधना,व्रत उपवास,दुर्गा सप्तशती व नवार्ण मंत्र का जाप करें। नवमी को हवन और नौ कन्याओं का पूजन करें।इसमें पूजा-अर्चना करना विशेष फलदायी रहेगा।पूरी दुनिया जहां इस वक्त कोरोना वायरस की महामारी से युद्ध लड़ रही है,ऐसे में मां दुर्गा की आराधना से पूरे देश में नई शक्ति का आह्वान होगा।इस माता का आगमन अश्व पर और गमन भैंसे पर होगा।काशी विश्ननाथ पंचांग के मुताबिक इस बार रात्रि तक प्रतिपदा होने से कलश स्थापना के लिए भक्तों के पास पर्याप्त समय है।प्रातःकाल से शाम तक कभी भी कलश स्थापना कर सकते है।
विशेष आराधना के लिए इस मुहूर्त में करे कलश स्थापित
कलश स्थापना के लिए विशेष मुहूर्त
दिनांक :17 अक्तुबर 2020 दिन शनिवार सुबह 06 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 13 मिनट
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 29 मिनट
शुभ चौघड़िया
प्रातः – 07:52:34 से 09:19:22
लाभ – अमृत चौघडिया
दोपहर – 01:39:50 से 04:33:28
लाभ चौघडिया
सायं – 06:00:17 से 07:33:28
22 अक्टूबर 2020 षष्ठी गुरुवार
बिल्वाभिमंत्रण(बेलनेवतन)संध्या मे
23 अक्तूबर 2019 सप्तमी शुक्रवार
पत्रिका प्रवेशनम (प्रातः काल), पट्ट खुलना, नेत्रोंनमिलन, प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा,
महानिशा पूजन (रात्रि) में
24 अक्तूबर 2020 शनिवार
महाअष्टमी व्रत
25 अक्तूबर 2020 रविवार
नवमी (हवन ,कन्या पूजन)
26 अक्तूबर 2020 सोमवार
दशमी (दशहरा)- प्रातः काल मूर्ति विसर्जन, शमी पूजन, पट्टाभिषेक, अपराजिता पूजन, जयन्ती ग्रहणम, नीलकंठ दर्शनम, ब्राह्मण भोजन के बाद पारण।
माता 09 भोगो को ग्रहण कर करती है सभी मनोकामना पूर्ण
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि नवरात्र के दिनों में मां को सच्चे मन से भोग चढ़ाने पर वह उसे जरुर ग्रहण करती हैं। लेकिन मां दुर्गा को अवतारों के अनुसार 9 भोग पसंद है। जिन्हें ग्रहण कर मां आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।जानें किस मां को कौन सा भोग लगाना है शुभ। आचार्य मनपूजन त्रिवेदी के अनुसार नवरात्रि का पहला दिन यानि मां शैलपुत्री का दिन। इस दिन देवी मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है तथा सभी व्याधियां दूर होकर शरीर निरोगी रहता है। नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रम्हचारिणी का होता है। इस दिन देवी मां को शक्कर का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं। इस भोग को देवी के चरणों में अर्पित करने के बाद परिवार के सदस्यों में बांटने से सभी की आयु में वृद्धि होती है। नवदुर्गा का एक रूप है चंद्रघंटा। मां के इस रूप का पूजन नवरात्रि के तीसरे दिन होता है। इस दिन मां को दूध या दूध से बनी मिठाई, खीर का भोग लगाकर ब्राह्मणों को दान करना शुभ होता है। इससे दुखों से मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा को नवरात्रि के चौथे दिन मालपुए का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं। इस भोग को मंदिर के ब्राह्मण को दान करना चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय शक्ति बढ़ती है।
नवरात्रि का पांचवा दिन यानि मां स्कंदमाता का दिन। इस दिन माता जी को केले का नैवेद्य चढ़ाना बहुत उत्तम होता है। ऐसा करने से उत्तम स्वास्थ्य और निरोगी काया की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के छठवें दिन देवी मां को शहद का भोग लगाना बहुत अच्छा माना जाता है। इस दिन शहद का भोग लगाने से मनुष्य की आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है। नवरात्रि का सप्तम दिन देवी मां को गुड़ का भोग लगाएं। सातवें नवरात्रि पर मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है। नवरात्रि के आठवें दिन माता रानी को नारियल का भोग लगाएं और नारियल का दान भी करें। इससे संतान संबंधी सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है और देवी मां की कृपा बनी रहती है। नवरात्रि के नवमी तिथि के दिन लावा का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे जीवन में हर सुख शान्ति मिलती है। नवरात्रि के अंतिम दिन यानि दसवीं तिथि दुर्गा विसर्जन के दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु भय से राहत मिलती है। साथ ही अनहोनी होने की घटनाओं से बचाव होता है।
दिन के अनुसार माता को लगाएं भोग –
रविवार – खीर,
सोमवार-दुध,
मंगलवार-केला,
बुधवार- मखन,
गुरूवार-शकर,
शुक्रवार-मिश्री,
शनिवार-गोघृत


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