अररिया जिले में टीबी मरीजों की खोज के लिये विशेष अभियान, गठित किये गये हैं 112 टीम
- सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाके में हो रहा है सैंपल कलेक्शन, ईंट भट्ठा व महादलित बस्तियों पर विशेष नजर
- टीबी का इलाज जितनी जल्द शुरू किया जाये उतनी जल्द रोग से निजात संभव
राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
अररिया (बिहार)। जिले में टीबी मरीजों की खोज के लिये सघन अभियान का संचालन किया जा रहा है| 27 से 31 जनवरी तक चलने वाले इस विशेष अभियान में खास तौर पर शहरी व ग्रामीण दलित बस्ती, ईंट भट्ठा वैसे लक्षित स्थल जहां मरीज मिलने की संभावना हो को चिह्नित किया गया है| इन स्थानों पर संभावित मरीजों का सैंपल लेकर जांच के उपरांत पॉजिटिव पाये जाने पर ससमय उनका इलाज शुरू कराना अभियान का मुख्य उद्देश्य है| इतना ही नहीं टीबी मरीजों की खोज कर उन्हें निक्षय योजना के तहत पांच सौ रुपये मासिक का लाभ उपलब्ध कराना है| इस संबंध में जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ वाईपी सिंह ने बताया कि पूरे जिले में टीबी मरीजों की खोज के लिये आशा व सामुदायिक कार्यकर्ताओं की 112 टीम काम कर रही है| उन्होंने बताया कि विशेष रूप से महादलित टोला, दुरूस्थ ग्रामीण क्षेत्र, शहरी मलिन बस्ती, नवनिर्मित कार्यस्थल के मजदूर, ईंट भट्ठा के मजदूर के साथ-साथ लक्षित स्थान जहां टीबी के मरीज मिलने की संभावना है उन स्थानों को अभियान में शामिल करने का विशेष प्रयास किया जा रहा है|
हाउस टू हाउस की जा रही टीबी मरीजों की खोज:
इस संबंध में जिला एड्स व टीबी कार्डिनेटर दामोदर शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत पूरे जिले में एसीएफ कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है| 27 से 31 जनवरी तक चलने वाले इस विशेष अभियान के तहत हाउस टू हाउस टीबी मरीजों की खोज की जानी है | अभियान के क्रम में टीबी के संभावित मरीजों का बलगम जांच के लिये संग्रह किया जा रहा है| जिसे डीएमसी में जांच के उपरांत पॉजिटिव पाये जाने पर उनका समुचित इलाज कराया जायेगा| उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 तक पूर्णत: टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित है| इस दिशा में सकारात्मक प्रयास किये जा रहे हैं| टीबी हारेगा देश जीतेगा इस अभियान की एक महत्वपूर्ण कड़ी है| इसके तहत टीबी के नये मरीजों की खोज करना, उन्हें इलाज के लिये उपलब्ध सरकारी सुविधाओं से जोड़ना और लोगों को टीबी रोग के प्रति जागरूक करना अभियान का मुख्य उद्देश्य है|
रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ाने वाले आहार का करें सेवन:
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ वाइपी सिंह ने शुक्रवार को जिले के भरगामा प्रखंड के विभिन्न प्रखंडों में संचालित इस अभियान का निरीक्षण किया| उन्होंने बताया कि क्षय रोग की रोकथाम के लिये बच्चों को बीसीजी का टीका लगाया जाता है| यह टीका बच्चों को होने वाली 20 तरह की बीमारियों से उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है| उन्होंने कहा कि टीबी रोग का उपचार जितनी जल्दी शुरू हो जाये, उतनी जल्दी रोग से निदान संभव है| टीबी संक्रमित मरीजों को खांसते वक्त अपने मुंह को ढक कर रखना चाहिये| सार्वजनिक जगहों पर थूकने से परहेज, भीड़-भाड़ वाली जगहों से खुद का बचाव टीबी रोग से बचाव को लेकर महत्वपूर्ण है| इसके अलावा उन्होंने कहा कि टीबी रोग से बचाव के लिये हमें ताजे फल, हरी सब्जी के साथ-साथ अपने दैनिक आहार में नियमित रूप से प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, फैट संतुलित मात्रा में लेने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है, जो टीबी रोग से बचाव में बेहद कारगर साबित होता है|
ऐसे करें टीबी रोग की पहचान:
लगातार तीन हफ्ते तक खांसी आना और आगे भी जारी रहना, खांसी के साथ खून का आना, छाती में दर्द व सांस का फूलना, शरीर का वजन कम होना, हमेशा थकान महसूस करना, शाम को हल्का बुखार व ठंड लगने के साथ-साथ रात में पसीना आने की शिकायत होने पर ये टीबी के लक्षण हो सकते हैं|


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