कुष्ठ रोग का पूर्ण इलाज है सम्भव, जरूर कराएं इलाज : सिविल सर्जन
- सदर अस्पताल कुष्ठ रोग निवारण कार्यालय में मनाया गया कुष्ठ दिवस
- कुष्ट रोगियों से भेदभाव नहीं करने और देश को कुष्ठ मुक्त करने का स्वास्थ्य अधिकारियों ने लिया संकल्प
- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर 30 जनवरी को मनाया जाता है कुष्ठ दिवस
राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
पूर्णिया (बिहार)। सदर अस्पताल के कुष्ठ रोग निवारण कार्यालय में सिविल सर्जन एवं अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा कुष्ठ दिवस मनाया गया। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा व अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों ने महात्मा गांधी के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए कुष्ठ रोगियों से भेदभाव नहीं करने और देश से कुष्ठ बीमारी को समाप्त करने की शपथ ली। इस दौरान सिविल सर्जन ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को कुष्ठ दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि महात्मा गांधी कुष्ठ रोगियों के प्रति पूरी तरह स्नेह एवं सेवा की भावना रखते थे। बापू ने कुष्ठ रोगियों की सेवा कर यह साबित किया कि कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा करने व उनकी देखरेख करने से कुष्ठ रोग नहीं फैलता है। उनकी पुण्यतिथि पर हमसभी स्वास्थ्य कर्मी कुष्ठ रोगियों से भेदभाव नहीं करने और देश को कुष्ठ मुक्त बनाने की शपथ लेते हैं। इस दौरान एसीएमओ डॉ. एस. के. वर्मा, जिला कुष्ठ निवारण के अपर चिकित्सा पदाधिकारी सुमन कुमार सिन्हा, डॉ. ओ. पी साहा के साथ ही अन्य स्वास्थ्य कर्मी भी उपस्थित रहे। सदर अस्पताल के साथ ही जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में भी स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा कुष्ठ दिवस मनाते हुए इसे समाप्त करने की शपथ ली गई।
कीटाणु से होती है कुष्ठ की बीमारी :
जिला कुष्ठ रोग निवारण के अपर चिकित्सा सहायक सुमन कुमार सिन्हा ने बताया कि कुष्ठ का रोग एक कीटाणु से होता है जिसका नाम माइक्रो बैक्टीरियम लेप्री है। इस बैक्टेरिया द्वारा रोगी की त्वचा पर स्पर्श करते हुए उन्हें संक्रमण का शिकार बना लिया जाता है। कुष्ठ की पहचान बिल्कुल आसानी से हो सकती है। चमड़े पर किसी तरह का दाग या धब्बा जिसमें दर्द या खुजली नहीं होती हो और यह निशान जन्म से ही नहीं हो तो यह कुष्ठ रोग का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। कुष्ठ बीमारी का पूर्ण इलाज सम्भव है। समय से इलाज कराने से यह रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसके इलाज के लिए एम.डी.टी. (मल्टीड्रगथेरेपी) का उपयोग किया जाता है। एम.डी.टी. का पूरा खुराक नियमानुसार सेवन करने के बाद कोई भी कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति सामान्य इंसान जैसा हो सकता है। उपचार नहीं कराने से संक्रमित व्यक्ति अनेक लोगों में इसका संक्रमण फैला सकता है लेकिन कुष्ठ विकृतियुक्त व्यक्ति अगर इस बीमारी का इलाज करा चुके हैं तो उनसे यह संक्रमण नहीं फैलता है। इसलिए कुष्ठ के लक्षण दिखाई देने पर लोगों को तुरंत इसकी जांच करानी चाहिए।
जिले में 228 व्यक्ति हैं कुष्ठ रोग के शिकार :
सुमन सिन्हा ने बताया कि वर्तमान में जिले में 228 लोग कुष्ठ रोग से ग्रसित पाए गए हैं, जिसमें 47 बच्चा एवं 63 वयस्क व्यक्ति कुष्ठ रोग के प्रारंभिक अवस्था जबकि 08 बच्चा एवं 110 वयस्क व्यक्ति कुष्ठ रोग के विकृत अवस्था से ग्रसित पाए गए हैं। इन सभी संक्रमित लोगों का नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में नियमित इलाज किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग के प्रारंभिक अवस्था में ही जांच पूरी करने पर लाभार्थियों को 650 रुपए व विकृत अवस्था में जांच पूरी करने पर लाभार्थियों को 850 रुपए सरकार द्वारा दिए जाते हैं।
कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति से नहीं करें भेदभाव :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एसीएमओ) डॉ. एस. के. वर्मा ने कहा कि कुष्ठ रोग से ग्रसित व्यक्ति से किसी को भी कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए। कुष्ठ रोग के सन्देहास्पद व्यक्ति को उनके नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि उनका पूर्ण इलाज हो सके। लोगों को समाज में कोई भी ऐसा व्यक्ति जो कुष्ठ रोग से प्रभावित था और उनका इलाज एम.डी.टी के माध्यम से हो चुका है तो उनके साथ घूमने, बैठने, खाने इत्यादि पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए। लोगों को विकलांगतायुक्त कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति से भेदभाव नहीं करते हुए उन्हें निःशुल्क चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुष्ठ दिवस पर सभी स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा भेदभाव नहीं करने और उन्हें सरकार द्वारा मिलने वाली विकलांगता प्रमाण पत्र तथा पेंशन राशि दिलवाने में पूरी तरह मदद करने की शपथ ली गयी है।


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