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राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत होंठ व तालु का हुआ ऑपरेशन, आर्यन के चेहरे पर आयी मुस्कान

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत होंठ तालु का हुआ ऑपरेशन, आर्यन के चेहरे पर आयी मुस्कान

  • परिवार वालों ने चिकित्सकों का किया शुक्रिया अदा
  • पटना के एम्स में हुआ नि:शुल्क ऑपरेशन
  • 38 प्रकार की बीमारियों का समुचित इलाज

छपरा। कल तक जिस मासूम चेहरे पर दर्द, मायूसी और चिंता की लकीरें होती थीं, आज वह खुशियों से दमक रहा हैं। यह संभव हुआ है स्वास्थ्य विभाग की कल्याणकारी योजना राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत। सदर प्रखंड के रौजा पोखरा निवासी मनीष सिंह के छह माह के पुत्र आर्यन का होठ व तालू  कटा हुआ था। उसके खाने-पीने और बोलने में में परेशानी होती थी। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के सार्थक प्रयास से मासूम के माता-पिता के साथ परिवार के अन्य सदस्यों में खुशी है। मासूम के जन्म के बाद से उनके अभिभावक परेशान थे और बड़े होने पर इलाज करवाने की सोच रहे थे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। आरबीएसके की टीम गांव-गांव व स्कूलों पर पहुंचकर बच्चों की स्क्रिनिंग करती है। इसी दौरान सदर प्रखंड की टीम ने आर्यन को चिन्हित कर इलाज के लिए डीआईसी वार्ड छपरा रेफर किया था। जहां पर प्राथमिक उपचार के बाद उसे एम्स पटना रेफर कर दिया गया। जहां पर उसके कटे हुए होठ व तालु का नि:शुल्क ऑपरेशन किया गया। अब आर्यन के चेहरे पर एक अलग मुस्कान झलक रही है। आरबीएसके गरीब व असहाय परिवारों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है। जन्म से कटे होंठ और तालू का इलाज तमाम गरीब तबके के बच्चे आर्थिक तंगी की वजह से अपना इलाज नहीं करा पाते।

बेटे के होंठ कटे-फटे, डॉक्टर ने विकृति दूर की:

सदर प्रखंड के रौजा पोखरा निवासी मनिष सिंह का कहना है कि  मेरे बेटे आर्यन के क्लेफ्ट एंड पैलेट की (होठ कटे होना) समस्या थी। इसके कारण चेहरा विकृत दिखाई देता था। मैने लोगों से जानकारी ली और आरबीएसके के चिकित्सक से मिला।  डॉक्टरों ने जांच की और बच्चे के ऑपरेशन की तारीख बताई। पटना एम्स में बेहतर सुविधा के साथ ऑपरेशन किया गया। अब मेरा बच्चा पूरी तरह से ठीक है। देखकर लगता ही नहीं कि बच्चे के होंठ कभी फटे हुए थे। उसे अब बोलने में भी कोई परेशानी नहीं होती।

38 प्रकार की बीमारियों का समुचित इलाज :

आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. अमरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत बच्चों में 38 तरह की बीमारियों की जांच कर उसका समुचित इलाज किया जाता है। इन सभी बीमारियों को चार मूल श्रेणियों में बांटकर इसे 4 डी का नाम दिया गया है। जिन तीस बीमारियों का इलाज किया जायेगा, उसमें दांत सड़ना, हकलापन, बहरापन, किसी अंग में सून्नापन, गूंगापन,मध्यकर्णशोथ,  आमवाती हृदयरोग, प्रतिक्रियाशील हवा से होने वाली बीमारियां, दंत क्षय,  ऐंठन विकार, न्यूरल ट्यूब की खराबी, डाउनसिंड्रोम, फटा होठ एवं तालू/सिर्फ़ फटा तालू,  मुद्गरपाद (अंदर की ओर मुड़ी हुई पैर की अंगुलियां), असामान्य आकार का कुल्हा, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरापन, जन्मजात हृदयरोग,  असामयिक दृष्टिपटल विकार आदि शामिल है।

ऑपरेशन नहीं होने पर होती ये परेशानी:

  • बच्चा अच्छे न खा सकता ना पी सकता
  • बोलने में समस्या
  • कुपोषण का शिकार
  • मानसिक विकास नहीं होना

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