तय समय से 15 मिनट भी ज्यादा किया काम तो मिलेगा ज्यादा वेतन, मोदी सरकार बदलेगी ओवरटाइम के नियम
नई दिल्ली, (एजेंसी)। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने चार श्रम संहिता के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया है। इससे जल्द ही क्रियान्वयन में लाये जाने के लिए इनकी अधिसूचना जारी कर सुधारों को वास्तविकता में बदलने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा एवं व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य व काम करने की स्थिति (ओएसएच) पर चार व्यापक संहिताएं पहले ही राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करने के बाद अधिसूचित किये जा चुके हैं। लेकिन इन चार संहिताओं को लागू करने के लिये नियमों को अधिसूचित करने की आवश्यकता है। अब मंत्रालय ने चार संहिताओं के मसौदा नियमों पर परामर्श की प्रक्रिया पूरी कर ली है।
श्रम सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा, हमने चार श्रम संहिता को लागू करने के लिए आवश्यक नियमों को अंतिम रूप दिया है। हम इन नियमों को अधिसूचित करने के लिये तैयार हैं। राज्य चार संहिताओं के तहत नियमों को मजबूत करने के लिये अपना काम कर रहे हैं। संसद ने वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा व व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य व काम करने की स्थिति (ओएसएच) पर चार व्यापक संहिताओं को पारित किया था, जो अंतत: 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को तार्किक बनाएंगे। संसद ने वेतन पर संहिता को 2019 में पारित किया था, जबकि अन्य तीन संहिताओं को दोनों सदनों से 2020 में मंजूरी मिली। मंत्रालय एक बार में सभी चार संहिताओं को लागू करना चाहता है।
सूत्रों के जरिये मिली जानकारी के मुताबिक सरकार नए नियमों के तहत ओवरटाइम की मौजूदा समय सीमा में बदलाव कर सकती है। नए नियमों के तहत अब तय घंटों से 15 मिनट भी ज्यादा काम हुआ तो इसे ओवरटाइम की श्रेणी में रखा जाएगा और कंपनी को कर्मचारी को इसके एवज में मेहनताना देना होगा। पहले ये समय सीमा आधे घंटे की थी। श्रम मंत्रालय ने इस बाबत सभी हितधारकों से विचार-विमर्श का काम पूरा कर लिया है। मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक इस महीने के आखिर तक सभी प्रक्रियाओं को पूरा कर लिया जाएगा और नियमों को लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। सरकार को उम्मीद है कि इन नए नियमों से कारोबारी गतिविधियों में सुधार होने के साथ-साथ श्रमिकों की हालत भी बदलेगी।
नए कानूनों में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वालों को या फिर थर्ड पार्टी के तहत काम करने वालों को भी बड़ी राहत देने का फैसला लिया गया है। इसमें ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिससे कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले व्यक्ति को वेतन काटकर न दिया जा सके। सरकार, श्रमिक संगठन और उद्योग जगत के साथ हुई बैठक में चर्चा के बाद सहमति बनी है कि प्रमुख नियोक्ता यानी कंपनियां ही ये सुनिश्चित करेंगी कि उन्हें पूरा वेतन मिले।
कर्मचारियों को पीएफ और ईएसआई जैसी सुविधाओं का बंदोबस्त भी कंपनियों को ही सुनिश्चित करने संबंधी नियम बनाने के संकेत दे दिए गए हैं। सरकार की मंशा है कि नए प्रावधानों के जरिये अब कोई कंपनी यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकती कि कॉन्ट्रैक्टर या थर्ड पार्टी की तरफ से आए कर्मचारी को पीएफ और ईएसआई जैसी सुविधा नहीं दी जा सकती।


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