राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

चुनावी घमासान: क्या ‘बंगाल की बेटी’ को भाजपा हरा पाएगी

कोलकाता, एजेंसी। बीस साल पुरानी बात है। तब मैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में पीएमओ में अपनी सेवाएं दे रहा था और तृणमूल कांग्रेस के साथ तालमेल बनाने वाला उनका प्रमुख दूत था। मुझे प्राय: कोलकाता जाना पड़ता था, जिसके इतिहास, संस्कृति और जहां के लोगों के प्रति मेरा अगाध सम्मान है। एक बार ममता बनर्जी ने, जो तब रेल मंत्री थीं, मुझसे पूछा, ‘आप कभी कोलकाता के काली मंदिर में गए हैं?’ मैंने कहा, ‘नहीं।’ ‘काली मां के दर्शन के बगैर आप कैसे लौट सकते हैं? मैं आपको कल वहां ले चलूंगी।’ उन्होंने कहा। अगले दिन तड़के चार बजे वह मुझे काली मंदिर ले गईं। ‘काली मां से प्रार्थना करने का यही सबसे सही समय है’, उन्होंने कहा।

यह ममता बनर्जी हैं, जो पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्टों के बाद के दौर की सबसे कद्दावर राजनीतिक शख्सियत हैं, और बंगाल के मौजूदा चुनावी अभियान में अटल जी की पार्टी के लोगों ने ही जिनकी हिंदू-विरोधी छवि बना दी है। भाजपा में रहते हुए किसी और की तुलना में ममता बनर्जी से मेरा संवाद सबसे ज्यादा रहा। इसलिए मैं बिना हिचक के कह सकता हूं कि वह धर्मनिष्ठ हिंदू हैं, तथा दो महानतम आध्यात्मिक व्यक्तित्वों-रामकृष्ण परमहंस तथा स्वामी विवेकानंद- की परंपरा से गहरे तौर पर जुड़ी हैं। अविभाजित बंगाल के दो कद्दावर कवियों-गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर तथा काजी नजरुल इस्लाम के समन्वयवादी व धर्मनिरपेक्ष जीवन मूल्यों को भी उन्होंने आत्मसात किया है। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष संस्कृति का प्रमाण यह है कि बांग्लादेश ने रवींद्रनाथ के गीत, आमार सोनार बांग्ला को राष्ट्रगान के तौर पर चुना, तो नजरुल इस्लाम ने पैगंबर मोहम्मद के साथ-साथ मां काली, देवी दुर्गा, देवी सरस्वती तथा मां गंगा की प्रशंसा में कविताएं लिखी हैं। ममता जिस सहजता से रवींद्र संगीत गा सकती हैं, उसी तरह नजरुल की विद्रोही कविताओं का पाठ कर सकती हैं।

मैं चुनाव का आकलन करने पश्चिम बंगाल आया हूं और मेरी भविष्यवाणी यह है कि अगले दो महीने में कुछ अप्रत्याशित नहीं हुआ, तो मतदाता ममता को तीसरी बार सत्ता सौंपेंगे। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के नेतृत्व में भाजपा ने जैसा आक्रामक अभियान चला रखा है, उससे पार्टी की सीटें बढ़ेंगी, पर इतनी नहीं कि 2016 की तीन सीटों से बढ़कर 2021 में 294 सीटों के आधे तक पहुंच जाए। पर घनघोर सांप्रदायिक विभाजन का अभियान चलाने, अविश्वसनीय रूप से पैसा झोंकने, कुछ नेताओं-विधायकों को तृणमूल से तोड़ने तथा विरोधियों के खिलाफ सीबीआई तथा ईडी का इस्तेमाल करने के बाद भी भाजपा चुनाव नहीं जीत पाती, तो भी 2024 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में विपक्षी पार्टियों के लिए संभावना बढ़ेगी। भाजपा लंबे समय से बंगाल का किला फतह करना चाहती है, क्योंकि यह भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जन्मभूमि है। लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में जब भाजपा की सीटें दो से बढ़कर 18 हो गईं तथा इसका वोट शेयर तृणमूल के 43 फीसदी से थोड़ा ही कम-40 प्रतिशत हो गया, तब पार्टी में पहली बार इस राज्य में सरकार गठन की इच्छा बलवती हुई। तभी से मोदी-शाह ने ममता को सत्ता से हटाने को अपना एजेंडा बना लिया। पर वे चार वजहों से सफल नहीं हो सकेंगे। पहली वजह यह है कि बंगाली मतदाता चुनाव में इसके लिए वोट करेंगे कि कोलकाता में शासन कौन चलाएगा, इसके लिए नहीं कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। मतदाता विधानसभा व लोकसभा चुनावों का फर्क समझते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दिल्ली की सारी सीटें जीतीं, पर कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव में आप ने 70 में 62 सीटें जीत भाजपा को पटखनी दी। फिर बंगाल में ममता की बराबरी का कोई नेता नहीं है।

दूसरा यह कि भाजपा उस राज्य में हिंदू ध्रुवीकरण का अभियान चला रही है, जहां 27 फीसदी मुस्लिम हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर तथा नेताजी के भाई शरत्चंद्र बोस के पोते सुगत बोस ने मुझसे कहा, ‘ममता को हिंदू-विरोधी बताने के लिए मोदी और शाह आरोप लगा रहे हैं कि तृणमूल सरकार में दुर्गा पूजा व सरस्वती पूजा पर रोक लगाई है, जो झूठ है।’ मोदी ने जैसे ही कहा कि बंकिम चंद्र ने जिस घर में वंदे मातरम लिखा था, वह जर्जर अवस्था में है, तो बांग्ला प्रेस ने तुरंत बंकिम म्यूजियम की फोटो पेश कर प्रधानमंत्री के झूठ की पोल खोल दी। तीसरा कारण यह कि चूंकि भाजपा में मोदी और शाह की ही चलती है, ऐसे में, बंगाली आशंकित हैं कि भाजपा की जीत पर दिल्ली से सरकार चलाई जाएगी। और चौथा यह कि तृणमूल भले राज्य में बड़ा निवेश नहीं ला पाई, पर गरीबों के लिए चलाई गई उसकी योजनाएं ग्रामीण बंगाल में लोकप्रिय हैं। हालांकि तृणमूल कार्यकतार्ओं के भ्रष्टाचार पर लोग क्षुब्ध हैं। मोदी और शाह बंगाल में कट मनी के चलन पर लगातार हमलावर हैं। मोदी और शाह एक ऐसी राजनेता को निशाना बना रहे हैं, जो निडर योद्धा हैं। ममता ने बंगाल में कम्युनिस्टों के लंबे शासन का अंत किया, लिहाजा भाजपा-संघ को तो उन्हें अपना स्वाभाविक सहयोगी मानना चाहिए। पर ममता सांप्रदायिक राजनीति की भी विरोधी हैं। इसलिए 2021 में तो मोदी-शाह बंगाल की शेरनी को हराने में सक्षम नहीं होंगे।

You may have missed