नई दिल्ली, (एजेंसी)। आने वाले दिनों में अगर आपको पेट्रोल-डीजल 45 रुपये लीटर मिलने लगे तो आश्चर्य मत कीजिएगा। ऐसा हो सकता है। देश के कई हिस्सों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये लीटर के पार पहुंचे पर मोदी सरकार इसके दाम कम करने पर शिद्दत से विचार कर रही है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर टैक्स घटाने को लेकर कुछ राज्यों, तेल कंपनियों और पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ चर्चा की है। सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय चाहता है कि कोई ऐसा रास्ता निकले, जिससे सरकार की आमदनी पर भी असर ना पड़े और आम जनता को भी राहत मिल जाए।
दुनिया का इंजन अभी भी पेट्रोल-डीजल से ही चल रहा है। इसके दाम में बदलाव प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ता है चाहे वह वाहन चलाता हो या नहीं। कच्चे तेल के दाम में लगातार वृद्धि होने से भारत में सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ा रही हैं। फरवरी में ही दोनों ईंधन करीब 5 रुपये लीटर बढ़ चुके हैं। वहीं कच्चे तेल की कीमतें बीते 10 महीने में डबल हो चुकी है, जिसने घरेलू बाजार यानी भारत में तेल की कीमतों पर असर डाला है। भारत के लोगों को तेल की महंगाई का बोझ केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स की वजह से कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है।
इस बोझ को कम करने के लिए केंद्र सरकार को एक्साईज ड्यूटी और राज्य सरकारों को वैट कम करना होगा। राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, पुड्डुचेरी और मेघालय सरकार ने पहले ही वैट घटाकर आम जनता को थोड़ी राहत दी है। पेट्रोल और डीजल पर वैट सबसे पहले राजस्थान ने घटाया था। राजस्थान में 29 जनवरी को वैट 38 फीसद से 36 फीसदी किया गया था। असम ने 12 फरवरी को 5 रुपये टैक्स में कम किए, वहीं मेघालय ने सबसे अधिक राहत दी। यहां राज्य सरकार ने पेट्रोल पर 7.40 रुपये और डीजल पर 7.10 रुपये कम किए। टैक्स की वजह से पेट्रोल-डीजल महंगा हो रहा है। केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क और राज्य वैट वसूलते हैं। अभी केंद्र व राज्य सरकारें उत्पाद शुल्क व वैट के नाम पर 100 फीसद से ज्यादा टैक्स वसूल रही हैं। इन दोनों की दरें इतनी ज्यादा है कि 35 रुपये का पेट्रोल राज्यों में 90 से 100 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच रहा है।
कुछ दिन पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यम ने पेट्रोलियम उत्पादों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के प्रस्ताव का समर्थन किया था। सुब्रमण्यम ने हाल में फिक्की एफएलओ सदस्यों के साथभारत परिचर्चा में कहा, ”यह एक अच्छा कदम होगा। इसका निर्णय जीएसटी परिषद को करना है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने का आग्रह कर चुकी हैं। वहीं, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के सुझावों पर अगर जीएसटी परिषद अमल करती है तो देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें आधी हो जाएगी। उन्होंने कहा था कि उनका मंत्रालय जीएसटी परिषद से पेट्रोलियम उत्पादों को अपने दायरे में शामिल करने का लगातार अनुरोध कर रहा है, क्योंकि इससे लोगों को फायदा होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कुछ ऐसे ही संकेत दे चुकी हैं।


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