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अबकी बार नंदीग्राम में संग्राम, टॉलीगंज वाला मजाक और भवानीपुर छोड़ने की पूरी क्रोनोलॉजी समझिए

नई दिल्ली, (एजेंसी)। बंगाल के टेकली इलाके में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी बोलती हैं- “नंदीग्राम मेरे दिल के करीब है। मैं अपना नाम भूल सकती हूं, लेकिन मैं नंदीग्राम को नहीं भूल सकती। नंदीग्राम के लोगों के साथ मेरे भावनात्मक जुड़ाव को देखते हुए ये घोषणा कर रही हूं कि मैं नंदीग्रमा से आगामी चुनाव लड़ने की इच्छा रखती हूं।” पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस ने अपने 291 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। खुद ममता बनर्जी ने टीएमसी के उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया। ममता बनर्जी को लेकर ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि वो कहां से चुनाव लड़ेंगी। जिसके बारे में ममता ने खुद ही ऐलान करते हुए कहा कि मैं 9 मार्च को नंदीग्राम जा रही हूं और 10 मार्च को मैं हल्दिया में अपना नामांकन दाखिल करूंगी। कहा तो ये भी जा रहा है कि ममता बनर्जी टॉलीगंज से भी चुनाव लड़ सकती हैं। जिसको लेकर संकेत ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए। पहले तो यहां से नाम का ऐलान किया फिर धीरे से ममता बनर्जी ने मजाक के लहजे में खुद कह दिया कि मैं भी यहां से चुनाव लड़ सकती हूं। ममता बनर्जी के भवानीपुर छोड़ने के पीछे की वजह बीजेपी उनका डर बता रही हैं। उन्हें इस बात एहसास हो गया है कि ममता बनर्जी यहां से हार सकती हैं। बीजेपी की तरफ से कहा जा रहा है कि जैसे राहुल वायनाड भाग गए थे ममता भवानीपुर छोड़कर भाग गईं हैं।

ममता बनर्जी ने 294 में से 291 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है और बाकी सीटें सहयोगी पार्टियां लड़ेगी। ममता बनर्जी ने 42 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। एससी के 79 और एसटी के 17 उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं। ममता बनर्जी ने 50 महिलाओं को भी टिकट दिया है जबकि 27 विधायकों का टिकट कट गया है। पीएम मोदी की कोलकाता रैली 7 मार्च को है वहीं ममता बनर्जी महिला दिवस के दिन 8 मार्च को महिला रैली करने वाली हैं। जिसके बाद 9 मार्च को नंदीग्राम जाएंगी और 10 मार्च को नामांकन करेंगी।

भवानीपुर में क्यों लगा ममता को डर: ममता दक्षिणी कोलकाता के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र से दो बार चुनाव लड़ चुकी हैं। 2011 के उप चुनाव में यहां डाले गए कुल वोटों का 77 फीसदी उन्हें प्राप्त हुआ था। ममता इस सीट से 50 हजार से ज्यादा वोटों से जीती थीं। लेकिन 2016 के चुनाव में ये प्रतिशत 48 पर सिमट कर रह गया था। नतीजा साफ है कि इस इलाके में ममता का जनाधार तेजी से खिसका है। जिसके पीछे की वजह बताई जाती है ममता का बाहरी बनाम स्थानीय वाला कार्ड। जिसकी वजह से गैर-बंगाली वोटर उनसे छिटकने लगे।

नंदीग्राम का महत्व और ममता बनाम शुभेंदु: साल 2007 में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन जारी था। उस वक्त राज्य में वाम दलों का राज था। इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के बाद ममता ने नंदीग्राम के जरिए ही बंगाल की सत्ता संभालने की तैयारी की थी। पुलिस की गोली में 14 प्रदर्शनकारियों की मौत हो जाती है। उस वक्त ये मीडिया की सुर्खियों में रहा। नंदीग्राम पूर्व मेदिनीपुर जिले में आता है। कहा जाता है कि नंदीग्राम में ममता को बंगाल की सत्ता दिलाने में नंदीग्राम की भूमिका अहम रही है। लेकिन यहां हुए भूमि अधिग्रहण आंदोलन में शुभेंदु अधिकारी ने बड़ी भूमिका निभाई थी। बीजेपी की तरफ से शुभेंदु अधिकारी यहां से ताल ठोकने के लिए तैयार हैं। हालांकि अभी कोई आधिकारिक घोषणा पार्टी की तरफ से नहीं हुई है। लेकिन बीते दिनों ममता के नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की बात पर उन्होंने कहा था कि ममता बनर्जी को 50 हजार वोटों से नहीं हराया तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा।

ममता के ऐलान के बाद बीजेपी का रिएक्शन: केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि ममता बनर्जी को नंदीग्राम से हराएंगे। शुभेंदु अधिकारी वहां से लड़ेंगे तो वे ममता बनर्जी को हराएंगे। ममता बनर्जी कई सालों से भवानीपुर सीट से जीत रही थी। उन्होंने वह सीट छोड़ दी है। उन्हें मालूम है इस सीट से लड़ने से उन्हें हार का सामना करना पड़ेगा। वहीं बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि ममता बनर्जी नंदीग्राम में भाग गई हैं। नंदीग्राम में टीएमसी का उत्थान हुआ था। उसके बाद उन्होंने नंदीग्राम को देखा भी नहीं और वहां की जनता के साथ विश्वासघात किया। अब वे भवानीपुर से विश्वासघात कर नंदीग्राम में जा रही है, वहां की जनता विश्वासघात का जवाब वोटों से देगी।

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