नई दिल्ली, (एजेंसी)। किसानों आंदोलन से जुड़ा एक बड़ा ही विचित्र मामला सामने आया है, जिसमें दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 26 जनवरी को ट्रैक्टरी रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा की जांच में शामिल होने के लिए एक ऐसे किसान को तलब किया, जिसकी 31 दिसंबर को ही मौत हो चुकी थी। परिवार वालों के अनुसार, एक तथ्य यह भी है कि इस नोटिस में नामित तीनों भाई कभी भी किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल ही नहीं हुए। सुरजीत सिंह (88) के बेटे भूपिंदर सिंह ने कहा, उनके पिता और भाई, जगीर सिंह और गुरचरण सिंह कभी भी किसानों के इस विरोध का हिस्सा ही नहीं थे।
उन्होंने कहा, “मेरे पिता 86 वर्ष के हैं और बढ़ती उम्र के साथ कई बीमारियों से पीड़ित हैं। वह हमारे गांव, कुराली के नेहोलका में रहते हैं। उनके भाई गुरचरण सिंह, जो एक सेवानिवृत्त सरकारी शिक्षक हैं, शहर में रहते हैं और अब खेती से नहीं जुड़े रहे।” उन्होंने आगे कहा, “हमें 24 फरवरी को नोटिस मिला है और हम बिल्कुल हैरान रह गए, अब हम समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर इस मामले से कैसे निपटा जाए।हालांकि अब हमने संयुक्त किसान मोर्चा की कानूनी टीम से संपर्क किया है, उन्होंने हमें हमें हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।”
उन्होंने कहा कि वे यह भी चाहते हैं कि पंजाब सरकार उनकी और उनके जैसे तमाम लोगों की मदद करनी चाहिए, जिन्हें इस तरह के नोटिस जारी किए गए है। भारतीय किसान यूनियन (एकता) के प्रदेश अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने कई अन्य लोगों को भी ऐसे नोटिस भेजे हैं, जिनकी मृत्यु 26 जनवरी से पहले हुई है। उन्होंने कहा, “वे एक डर पैदा कर रहे हैं और विरोध में लंगर सेवा या अन्य सेवाओं के लिए आने वाले वाहनों के पंजीकरण संख्या के आधार पर लोगों को नोटिस भी भेज रहे हैं। हमने लोगों से कहा है कि वे सीधे अपराध शाखा में ना जाएं के बजाय पहले हमारी कानूनी टीम से संपर्क करें।”


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