राष्ट्रनायक न्यूज।
पटना (बिहार)। बिहार में खुले बाजार से बिजली (लेकर ओपेन एक्सेस) उद्योग चलाने वालों को परेशानी हो सकती है। मौजूदा समय की तुलना में उद्योगपतियों को महंगी बिजली पर उद्योग चलाना होगा। बिजली कंपनी ने ओपेन एक्सेस से बिजली लेने वालों पर 50 पैसे प्रति यूनिट सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव बिहार विद्युत विनियामक आयोग को दिया है। आयोग ने अगर कंपनी के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी तो बड़े उद्योग में ओपेन एक्सेस से बिजली लेने पर यह सरचार्ज प्रभावी हो जाएगा।
कंपनी की ओर से विनियामक आयोग को सौंपी गई याचिका में 50 पैसे प्रति यूनिट का अतिरिक्त सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव दिया गया है। चूंकि उद्योग क्षेत्र में बिजली की लाखों यूनिट खपत होती है। अगर 50 पैसे प्रति यूनिट सरचार्ज लगे तो ओपेन एक्सेस से बिजली लेकर उद्योग चलाने वाले उद्योगपतियों को लाखों रुपए अतिरिक्त देने होंगे। यही नहीं, कंपनी ने बड़े उद्योग में समानांतर आॅपरेटिंग चार्ज के नाम पर 100 रुपए प्रति किलोवाट महीने का प्रस्ताव भी आयोग को दिया है, जबकि रिऐक्टिव इनर्जी चार्जेज के नाम पर 4 पैसे प्रति यूनिट के बदले 15 पैसे प्रति यूनिट करने का प्रस्ताव कंपनी ने दिया है। यही नहीं, आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में बिजली कंपनी ने उद्योग चलाने वालों पर कंजेशन चार्ज लगाने की भी अनुमति आयोग से मांगी है। कंपनी के प्रस्ताव पर विनियामक आयोग जल्द ही फैसला लेगा।
ओपेन एक्सेस से बिजली लेने वालों पर सरचार्ज सहित अन्य कर लगाने के प्रस्ताव के सवाल पर कंपनी के आलाधिकारी बचते नजर आए। कंपनी के एक वरीय अधिकारी ने कहा कि अगले वित्तीय वर्ष के लिए सम्रगता में बिजली दर में 9.22 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव दिया गया है। ओपेन एक्सेस से उद्योग चलाने वालों पर सरचार्ज में वृद्धि का प्रस्ताव एक हिस्सा है। खर्च और आमदनी के बीच आए अंतर को पाटने के लिए कंपनी ने यह प्रस्ताव आयोग को दिया है लेकिन लागू वही होगा जिस पर फैसला आएगा। अधिकारी के अनुसार विनियामक आयोग के समक्ष पहले भी कंपनी की ओर से कई याचिका दायर की जाती रही है पर आयोग ने उसे स्वीकार नहीं किया है। इसलिए जब तक आयोग की मंजूरी नहीं मिल जाती, इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं।
बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के संजय भरतिया ने कहा कि बिहार में ओपेन एक्सेस से बिजली लेने वालों की संख्या नगण्य है। ऐसे में अगर कोई ओपेन एक्सेस से बिजली लेकर उद्योग चलाना भी चाहे तो सरचार्ज या अन्य वृद्धि से उसका विपरीत असर होगा। राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए यह जरूरी है कि उद्योग को रियायतें दी जाए न कि उस पर आर्थिक बोझ डाला जाए।
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