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कहाँ से कर पाएंगे निजी स्कूल स्टाफ का पेमेंट?, सरकार का फरमान नहीं लेनी है तीन माह का शिक्षण शुल्क

कहाँ से कर पाएंगे निजी स्कूल स्टाफ का पेमेंट?

# सरकार का फरमान नहीं लेनी है तीन माह का शिक्षण शुल्क

# बैंकों ने लोन/ओवर ड्राफ्ट क्या माफ कर दिया है?

राणा परमार अखिलेश छपरा,

छपरा (सारण)- हड़ताली शिक्षकों का भुगतान सिर्फ होगा, अब ऑन लाइन भी ज्वाइन कर सकते हैं । मगर, निजी स्कूलों में कार्यरत स्टाफ का पेमेंट कैसे होगा? मार्च से जून तक का पेमेंट सरकार करेगी? या प्रबंधन? सरकारी फरमान है तीन माह का शिक्षण शुल्क नहीं ले सकते हैं, प्राइवेट स्कूल? तो प्रबंधन भी हाथ खड़ा कर देगा नहीं होगी पेमेंट! फिर स्टाफ कैसे अपने परिवार की परवरिश करेंगे?

इन प्रश्नों के साथ-साथ कई प्रश्न खड़े होते हैं ? कैरोना ब्रेक डाउन में सरकारी व प्राइवेट स्कूल बंद हैं ।यदि निर्धारित अवधि 3 मई के बाद सत्रारंभ होता है तो शिक्षक व गैर शिक्षक, लेखपाल, लिपिक, आदेशपाल, वाहन चालक, आदि पेमेंट नहीं लेंगे? डिमांड नहीं करेंगे? यदि डिमांड पूरी नहीं होती है तो क्या वे काम करेंगे?

ऐसा तो शायद ही कोई स्टाफ हो ‘जो टहल बजाएं और भीख मांगे।

जाहिर है कि निजी स्कूलों में शिक्षक कम वेतन या मानदेय में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से बेहतर शिक्षा देते हैं ।यदि सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता पूर्ण होती तो प्राइवेट स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या इतनी नहीं बढ़ जाती । सरकारी नियमित शिक्षकों को वेतनमान, नियोजित शिक्षकों का मानदेय निजी शिक्षकों से अधिक है। फिर भी निजी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या सरकारी स्कूलों से ज्यादा है।यहाँ तक कि कई नियमित व नियोजित शिक्षकों के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं । यह भी सही है कि बैंको ने भले ही तीन महीने के लिए वसूली रोक दी है किंतु किस्त ईएमआई और ब्याज माफी का ऐलान नहीं हुआ है और भले ही किस्त बांध दे लेकिन स्कूल प्रबंधन से अदायगी होगी ही।

सनद रहे कि निजी स्कूलों ने लोन या ओवर ड्राफ्टिंग की सुविधा सहित वाहनों को क्रय किया है। फाइनेंस कंपनियां व बैंक वार्षिक अनुबंध पर गाड़ियो को मुहैय्या करायी है। जो हर हालत में स्कूल प्रबंधन को देना ही है। बिजली,पानी, होल्डिंग टैक्स, बसों का रिपेयरिंग, डीजल, पेट्रोल आदि का भुगतान करना ही है। क्या सरकार इसे भी माफ कर देगी?

सनद रहे कि सारण जिला में कुछ विद्यालय सीबीएसई से 12वीं कक्षा तक मान्यता प्राप्त हैं लेकिन उन्हें कोई केन्द्रीय अनुदान नहीं मिलता ।स्व वित्त पोषित हैं और निर्धारित फीस से स्टाफ पेमेंट, ईएसआई, पीएफ पीडीएस, भवन व वाहनों की रिपेयरिंग, इंश्योरेंस आदि फीस वसूली से करते हैं । बैंक लोन व ओवर ड्राफ्टिंग की सुविधा भी उन्हें प्राप्त है। कुछ निजी स्कूलों को सर्वशिक्षा अभियान ने पंजीकृत किया है।दलित ,महादलित विद्यार्थियों का नमांकन 25प्रतिशत निशुल्क करना है। उन्हें भी सर्वशिक्षा अभियान या बिहार सरकार से कोई अनुदान नहीं मिलता ।उनकी निर्भरता भी शिक्षण शुल्क पर ही है। जहाँ तक शिक्षण शुल्क का सवाल है? अभिभावक तीन माह या छः माह पर ही अदा कर पाते हैं ।

अवकाश का वेतन या मानदेय भुगतान न देना क्या न्यायोचित है?

जहाँ तक शिक्षकों का सवाल है? चाहे वे सीबीएसई मान्यता प्राप्त पीआरटी, टीजीटी, पीजीटी हों या सर्वशिक्षा अभियान के ट्रेन्ड व अन ट्रेंड प्रबंधन उनका ही शोषण करता है। कुछ विद्यालय पेमेंट बैंक खाते में ऑनलाइन कर देते हैं किन्तु तयशुदा राशि के अतिरिक्त वापसी भी लाचारी है।बहरहाल, बेरोजगारी के शिकार शिक्षकों हालत मनरेगा मजदूरों से भी बदतर है । ऐसे में फी वसूली नहीं होगी तो पेमेंट नहीं मिलेगा । फिलवक्त, आॅनलाइन क्लास ले रहें हैं और इसी उम्मीद के साथ कि कैरोना ब्रेक डाउन के बाद पेमेंट मिलते ही राशन,किराना, कपड़े की धुलाई, बच्चों की पुस्तकें मकान का किराया, होल्डिंग टैक्स आदि अदा कर देंगे?

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