नयी दिल्ली, (एजेंसी)। उच्चतम न्यायलय ने टाटा-मिस्त्री विवाद पर शुक्रवार के फैसले में साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद से हटाए जाने को उचित करार देते हुए कहा कि ‘कोई व्यक्ति अपने घर में केवल इस कारण आग लगाने का प्रयास करे कि उसे वह चीज हासिल नहीं हो रही है जिसे वह अपना हक मानता है, तो ऐसा व्यक्ति किसी निर्णायक जगह पर रखे जाने लायक नहीं है।’
न्यायालय ने कहा कि यह विडंबना है कि एक ऐसा व्यक्ति जो टाटा संस की कुल चुकता पूंजी के केवल 18.37 प्रतिशत के शेयरधारकों का प्रतिनिधित्व करता हो, फिर भी कंपनी के बोर्ड ने उसे कंपनी के औद्योगिक साम्राज्य के उत्तराधिकारी की मान्यता दे दी है, वह व्यक्ति उसी बोर्ड पर ‘ अल्पांश शेयरधारकों के हितों का दमन और उनके साथ अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगा रहा है।’ . न्यायालय ने कहा कि साइरस मिस्त्री ने निदेशक रहते हुए जिस तरह अपने 25 अक्टूबर के ई-मेल को मीडिया को लीक किया और आयकर विभाग के अधिकारियों को जवाब के साथ चार फाइलें भेजीं उसे देखते हुए टाटा संस और समूह की अन्य कंपनियों के निदेशक के पदों से उनको हटाया जाना सही था।


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