यूनिसेफ ने साउथ एशिया में टीकाकरण की स्थिति को लेकर जारी की रिपोर्ट, भारत ने दर्ज की कवरेज में बढ़त
पूर्णियाँ। भारत ने भी वर्ष 2018 में टीकाकरण कवरेज में बढ़त दर्ज की है. यूनिसेफ द्वारा शनिवार को साउथ एशिया के देशों में टीकाकारण की स्थिति को लेकर जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने बीसीजी में 92%, डीटीपी के पहले डोज में भी 92%, डीटीपी के तीनों डोज में 89%, पोलियो के तीनों डोज में 89%, एमसीवी के पहले डोज में 90%, एमसीवी के दूसरे डोज में 80% एवं हेपेटाइटिस-बी3 में 89% की कवरेज दर्ज की है.
टीके बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं और इनमें रोग प्रतोरोधक क्षमता को बढाते हैं.रिपोर्ट के माध्यम से साउथ एशिया के देशों में बीसीजी(टीबी का टीका), डीटीपी(डीपथिरिया, परट्युसिस एवं टेटनस), हेपेटाइटिस बी, पोलियो, एमसीवी(मीजिल्स का टीका), रोटावायरस(डायरिया) आदि टीकों के कवरेज को लेकर आंकड़े दिए गए हैं. यदि डीटीपी3(डीपथिरिया, परट्युसिस एवं टेटनस के तीनों टीके) के कवरेज की बात की जाए तो साउथ एशिया ने कामयाबी हासिल की है. वर्ष 2018 में साउथ एशिया ने डीटीपी3 में 87% कवरेज किया, जबकि इसका वैश्विक कवरेज 86% ही था.
साउथ एशिया में ये देश हैं शामिल:
भारत, पाकिस्तान, नेपाल, अफगानिस्तान, मालदीव, श्रीलंका, भुटान एवं बांग्लादेश साउथ एशिया के देशों में शामिल हैं.
पडोसी देश पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान की स्थिति चिंताजनक:
यूनिसेफ ने जारी रिपोर्ट में बताया है कि डीटीपी के तीनों डोज में पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में सबसे कम कवरेज है एवं इन दोनों देशों में डीटीपी के तीनों डोज नहीं लेने वाले शिशुओं की संख्या सर्वाधिक है. यद्यपि भारत में भी वर्ष 2018 में 25 लाख शिशु ऐसे बच गए, जिन्हें डीटीपी का तीनों डोज नहीं मिल सका.
इन्हें भी जानें:
• साउथ एशिया के देशों के 3.39 करोड़ जीवित शिशुओं में वर्ष 2018 में 40.50 लाख शिशु डीटीपी के टीके से वंचित रह गए
• साउथ एशिया के 8 देशों में 4 देश डीटीपी के तीनों डोज के 90% लक्ष्य को पिछले तीन सालों से हासिल नहीं कर सके
• वर्ष 2018 में साउथ एशिया के देशों ने एमसीवी के पहले डोज में 87% कवरेज दर्ज की. जबकि इसी वर्ष इसकी वैश्विक कवरेज 95% थी.
टीकाकारण कवरेज को बढ़ाने के लिए यूनिसेफ ने 9 क्षेत्रों पर ध्यान देने पर दिया बल:
• टीकाकरण करने वाले कर्मी एवं मैनेजर की बेहतर स्किल
• बेहतर रणनीतिक एवं क्रियान्वयन योजना
• टीकाकरण को लेकर गठित राष्ट्रीय टीम
• अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचने की रणनीति
• आधुनिक वैक्सीन सप्लाई चेन को लागू करना
• प्रत्येक व्यक्ति की टीकाकरण स्थिति को जानने के लिए सटीक इनफार्मेशन प्रणाली
• लाइफ कोर्स वैक्सीनेशन के तहत विस्तृत नियमित टीकाकरण अनुसूची
• बेहतर सामुदायिक सहयोग
• पर्याप्त ऑपरेशनल लेवल फंडिंग ताकि टीकाकरण कार्यक्रम को लंबे समय तक चलाया जा सके.
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