राष्ट्रनायक न्यूज

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मई व जून माह में गरीबों को पांच-पांच किलों गरीबों को मुफ्त अनाज

दिल्ली, एजेंसी। कोरोना महामारी का भयावह तांडव जारी है। बड़ी संख्या में मौतों की वजह बन रही यह महामारी अर्थव्यवस्था और लोगों की आजीविका को भी तबाह कर रही है। भारत इस कहर से सर्वाधिक प्रभावित देशों में शुमार हो चुका है। गत वर्ष सितम्बर के बाद धीरे-धीरे पटरी पर आती अर्थव्यवस्था अब महामारी की दूसरी और गम्भीर लहर की चपेट में है। जिनके पास धन था उन्होंने तो आर्थिक झटके को सहन कर लिया था। मध्यम आय वर्ग ने भी अपनी बचत से काम चला लिया था लेकिन गरीब और निम्न आय वर्ग मुश्किलों के प्रभाव से बाहर नहीं निकल सका। अब कोरोना की दूसरी लहर के चलते संक्रमण को रोकने के लिए जरूरी पाबंदियों से उनके वर्तमान और भविष्य के लिए नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं। पिछले वर्ष गरीब और निम्न आय वर्ग के लिए सरकार की कल्याणकारी योजनाएं और पैकेज बड़ी राहत साबित हुए थे लेकिन परिस्थितयां ऐसी बनीं कि गरीब आबादी में 7.5 करोड़ लोग और जुड़ गए। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते गरीबों की संख्या कितनी बढ़ेगी, इसका अनुमान अभी नहीं लगाया जा सकता। संक्रमण के विकराल रूप को देखते हुए यह कह पाना असम्भव है कि इस वर्ष वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था का स्वरूप क्या होगा।

सबसे बड़ा संकट तो गरीबों को रोटी का है। कोरोना से दिहाड़ी मजदूर और अन्य निम्न वर्गीय श्रमिकों के कामकाज प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए नरेन्द्र मोदी सरकार ने 26 हजार करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की है। इस राशि से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मई व जून में गरीबों को पांच-पांच किलो मुफ्त अनाज वितरित किया जाएगा।

पिछले वर्ष अप्रैल से लेकर नवम्बर तक इस योजना के तहत मुफ्त राशन का वितरण किया गया था। सरकार की घोषणा के मुताबिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत आने वाली लगभग 80 करोड़ गरीब जनता कोइसका लाभ मिलेगा। यह अनाज सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले अनाज के अतिरिक्त होगा। वहीं विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन जैसी स्थिति देख वित्त मंत्रालय में अन्य राहत पैकेज पर गम्भीरता से विचार किया जा रहा है। इनमें लोन मोरेटोरियम और बिना गारंटी लोन का विस्तार जैसे कदम शामिल हैं। सरकार द्वारा मनरेगा के फंड में भी बढ़ौतरी की जा सकती है। उद्योग संगठनों की तरफ से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि आगामी दो-तीन सप्ताह तक कोरोना संक्रमण की यही हालत रही तोउत्पादन में 25 फीसदी की कटौती करनी पड़ सकती है। दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था के लगने वाली चोट का असर घटाने के लिए सरकार को जल्द उचित मदद और सुधार के कदम उठाने होंगे। देश की गरीब जनता को मुफ्त में राशन देने का कदम सरकार का सही फैसला है।

सरकार के सामने महामारी रोकने के साथ राहत पहुंचाने के लिए संसाधन कोखर्च करने का दबाव लगातर बढ़ता जा रहा है। जब हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार का अवसर आएगा तब गरीबी और कम आमदनी की चुनौती भी गम्भीर रूप से सामने होगी। ऐसे में मध्य आय वर्ग को सम्भालने के लिए सरकार और उद्योग व वित्त जगत को पहल करनी होगी। सरकार इस संकट की घड़ी में हर वर्ग को राहत पहुंचाने का काम कर रही है लेकिन इस संकट में देशवासियों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह समाज को राहत पहुंचाने का काम करें। सामाजिक, धार्मिक और अन्य स्वयंसेवी संगठनों को पिछले वर्ष की तरह एक बार फिर गरीब और निम्न आय वर्ग को राहत पहुंचाने के लिए युद्ध स्तर पर जुटना होगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि कोरोना की पहली लहर के दौरान प्रवासी मजदूरों को भोजन उपलब्ध कराने में राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने एकजुटता का परिचय देकर अभूतपूर्व काम किया था।

कई राज्य सरकारों ने पंजीकृत निर्माण मजदूरों को राहत पहुंचाने के लिए उनके खाते में पैसे डालने का ऐलान किया है। पिछले वर्ष भी श्रमिकों, स्ट्रीट वेंडरों, रिक्शा चालकों, कुलियों, पल्लेदारों आदि को भरण-पोषण भत्ता देने का काम राज्य सरकारों ने किया था। संगठित क्षेत्र के साथ-साथ असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को भी भरण-भोषण भत्ता भी दिया था। मोदी सरकार तो हर चुनौती का सामना कर रही है लेकिन हम सब का दायित्व है कि संयम और धैर्य के साथ बुरे वक्त का सामना करें और अपने सामर्थ्य अनुसार लोगों की मदद करें ताकि कोई भूखा न सोये। अगर मिलकर महामारी से लड़ेंगे तो जल्द ही पुन: जीत भी जाएंगे।

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