भारत में सीमा से हटते ही जवान भी “दलित” हो जाता है
भारत में हमेशा से जवानों के प्रति लोगों में सहानुभूति रही है। खासकर कश्मीर में तैनात जवानों से। क्योंकि यहां लोगों को लगता है कि कश्मीर में तैनात जवान आतंकवादियों से देश की सुरक्षा कर रहा है। या फिर कहीं न कहीं पाकिस्तान के खिलाफ खड़ा है। सीमा पर तैनात हर जवान को ‘भारत मां’ का सपूत कहा जाता है। लेकिन भारत मां का यही सपूत जैसे ही सीमा से हट कर अपने गांव पहुंचता है, उसकी पहचान बदल जाती है। उसे उसकी धार्मिक और जातीय पहचान से पहचाना जाने लगता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें सेना के एक जवान को दलित जाति से ताल्लुक रखने के कारण शादी के समय बारात निकालने के दौरान घोड़ी पर बैठने को लेकर हंगामा किया गया।
घटना गुजरात के बनासकांठा के सांदीपाडा की है। वहां एक दलित युवक को शादी के दौरान घोड़ी पर चढ़ने से ऊंची जाति के लोगों ने रोका और इसके बाद उनलोगों ने पथराव भी किया। हालांकि बाद में पुलिस की सुरक्षा में दलित युवक की बारात निकाली गई और शादी करवाई गई। युवक का नाम आकाश कोटडिया है और उसकी उम्र 27 साल है। आकाश आर्मी के जवान हैं और जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं। युवक कुछ दिन पहले छुट्टी लेकर शादी के लिए गांव आया था, जिस दौरान यह घटना घटी।
इस घटना के बाद हंगामा मचा है। लोग सोशल मीडिया पर लगातार लिख रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि वापस सीमा पर तैनाती के दौरान सेना का वह जवान अब अपने आप को देश के साथ कैसे जोड़कर रखेगा और उनलोगों की सुरक्षा कैसे करेगा जिन्होंने उसे अपमानित किया है।


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