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तीरथ के सहारे ममता की नौका हो सकती है पार, छह महीने के भीतर बनना पड़ेगा विधानसभा सदस्य

कोलकाता, (एजेंसी)। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद प्रदेश की मुख्यमंत्री बन चुकी हैं। लेकिन उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा सदस्य बनना पड़ेगा। वैसे तो ममता बनर्जी के पास एक-दो नहीं कई सारी परेशानियां हैं। मगर शपथ लेने के छह महीने के भीतर विधानसभा सदस्य बनने की परेशानी काफी बड़ी है। हालांकि वो अकेली नहीं हैं जो बिना विधानसभा सदस्य के मुख्यमंत्री बनी हो। ऐसे मामलों में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का नाम भी आता है।

कब शुरू होगी चुनाव प्रक्रिया: ममता बनर्जी ने आगे का सफर तय करने के लिए एक विधानसभा सीट भी खाली करा ली है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते निर्वाचन आयोग ने सारे चुनाव को स्थगित कर दिया है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या तय अवधि तक ममता बनर्जी विधानसभा सदस्य बन पाएंगी ?
पश्चिम बंगाल भाजपा के नेता ममता बनर्जी की परेशानियों पर मजे ले रहे हैं। उनकी तरफ से बयान आ रहा है कि जब निर्वाचन आयोग चुनाव करा रहा था तब तो उन पर लोगों की जान से खेलने का आरोप लगाया जा रहा था लेकिन आज चुनाव कराए जाने की मांग की जा रही है। ममता बनर्जी को यह भी चिंता सता रही है कि अगर कोरोना के हालात आने वाले समय में बिगड़ गए तो निर्वाचन आयोग चुनाव प्रक्रिया शुरू भी करेगा या नहीं ?

केंद्र से बिगड़े रिश्ते भी जिम्मेदार: केंद्र सरकार के साथ ममता बनर्जी के बिगड़े रिश्ते कुछ ठीक नहीं हैं। आए दिन केंद्र और पश्चिम बंगाल के बीच में खींचतान की खबरें सुनने को मिलती हैं। ऐसे में भले ही ममता बनर्जी ने विधान परिषद में पहुंचने का रास्ता बनाया हो लेकिन उसके मुकम्मल होने की संभावना काफी कम हैं। ममता बनर्जी ने विधानसभा के जरिए विधान परिषद के लिए प्रस्ताव पास कराया है लेकिन बिना लोकसभा की स्वीकृति के यह हो पाना संभव नहीं है और आप सभी को पता ही है कि लोकसभा में भाजपा के पास बहुमत है।

उत्तराखंड की स्थिति भी कुछ-कुछ पश्चिम बंगाल से मिलती हैं और वहां पर भी विधान परिषद नहीं है। ऐसे में उपचुनाव अगर नहीं हो पाया तो मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को इस्तीफा देना पड़ेगा और भाजपा ऐसा नहीं चाहेगी। भाजपा की कोशिश रहेगी कि सितंबर तक प्रदेश में उपचुनाव कराकर तीरथ सिंह रावत को विधानसभा का सदस्य बना दिया जाए। लेकिन निर्वाचन आयोग को इसके लिए चुनाव पर लगी रोक को हटाना पड़ेगा। उत्तराखंड में फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

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