राष्ट्रनायक न्यूज। कोरोना विषाणु के एक नए एप डेल्टा प्लस दैत्य ने पूरी दुनिया की नींद उड़ा दी है। भारत में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों में डेल्टा प्लस से संक्रमित मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। डेल्टा प्लस के मामले अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, जापान, पोलैंड, स्विट्जरलैंड और नेपाल में भी मिले हैं। ब्रिटेन में फिर से कोरोना संक्रमित बढ़ने लगे हैं। कोरोना विषाणु अब तक हजारों तरह के रूप बदल चुका है। वैज्ञानिकों के लिए यह कोई कम बड़ी मुश्किल नहीं है। विषाणु के लगातार रूप बदलते रहने के कारण संक्रमितों की जांच से लेकर टीका विकसित करने तक में बाधा आती है। यह तय कर पाना भी आसान नहीं होता कि कौन सा मरीज किस रूप के विषाणु से संक्रमित है और कौन सा टीका किस रूप का तोड़ बन सकता है। बहरूपिया वायरस भारत के लिए ही नहीं पूरी दुनिया के लिए घातक साबित हो सकता है।
कोरोना के इस नए रूप से सारी दुनिया चिंतित है। ऐसी स्थिति में कोरोना महामारी को समाप्त करने के लिए क्वाड समूह के देशों अमेरिका, भारत, आस्ट्रेलिया और जापान को फिर से अपनी पहल को लेकर पुनर्विचार को विवश कर दिया है। इस समय कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की बहुत जरूरत है। क्वाड समूह की 12 मार्च को हुई बैठक में चार देशों ने अपने नागरिकों के लिए कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए दुनिया के अन्य देशों को भी वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए मिलकर काम करने का फैसला किया था। अगले वर्ष 2022 के अंत तक सौ करोड़ वैक्सीन तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन डेल्टा को देखते हुए अगले वर्ष के अंत तक सौ करोड़ वैक्सीन का लक्ष्य बहुत कम है।
तेजी से फैलने वाले डेल्टा प्लस के चलते वैक्सीनेशन की जरूरत बहुत बढ़ चुकी है। लोगों को जल्दी से जल्दी टीका देने की जरूरत है। डेढ़ माह पहले कोरोना की दूसरी लहर के कहर ने भारत में हैल्थ केयर सिस्टम हिला कर रख दिया था। कोरोना वैक्सीन की सप्लाई लाइन टूटने से भी बुरा प्रभाव पड़ा था। इसलिए अब वैक्सीन निर्माण को और तेज करने की जरूरत है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस विषय पर क्वाड देशों की अगले सप्ताह इटली में होने वाली बैठक में चर्चा करेंगे। उनकी मुलाकात अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री और जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों से भी होगी। क्वाड देशों को ठोस पहल करनी पड़ेगी। 2004 में जब भारत सुनामी से प्रभावित हुआ था तो क्वाड देशों ने एकजुट होकर भारत की मदद की थी। इस समय कोरोना वैक्सीन निर्माण के लिए वित्त की बड़ी जरूरत है। अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया को चाहिए कि वे भारत को वित्तीय सहायता दें। भारत वैक्सीन निर्माण का हब है। भारतीय कम्पनियां तेजी से वैक्सीन निर्माण कर सकती हैं।
इस बात का फैसला पहले हो चुका है कि भारत अमेरिकी वैक्सीन का निर्माण करेगा। इसके लिए फंडिंग जापान करेगा। वैक्सीन तैयार होने के बाद एशिया-प्रशांत क्षेत्रों के देशों को सप्लाई के लिए आस्ट्रेलिया लॉजिस्टिक सपोर्ट देगा। इस संबंध में पहल तेजी से करनी होगी। भारत की मैन्यूफैक्चरिंग अमेरिकी वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हो सकती है। अमेरिका से टीकाकरण को लेकर अध्ययन में पाया गया है कि अब जितनी मौतें हो रही हैं, उनमें 99 फीसदी वे लोग हैं जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई थी। जनवरी के मध्य जहां रोजाना औसतन 3400 लोगों की जान जा रही थी आज वहां मरने वालों की संख्या 300 से नीचे आ गई है। वैक्सीन की प्रभावशीलता से जुड़ी इन जानकारियों का लाभ दुनिया भर की सरकारों को उठाना चाहिए। भारत के लिए वैक्सीनेशन इसलिए अहम है क्योंकि इससे न सिर्फ इसको तीसरी लहर की आशंकाओं को निर्मूल करना है, बल्कि असंख्य लोगों को भय, पूर्वाग्रह को दूर कर उन्हें टीकाकरण केन्द्रों तक लाना भी है। देश की विशाल आबादी को देखते हुए यह काम बहुत चुनौतीपूर्ण है। पूरे विश्व में कोविड-19 के दैत्य को खत्म करने के लिए केवल धनी देशों की पहल का इंतजार करना सही नहीं होगा, इस महामारी से निजात पाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पूरी दुनिया को एकजुट होना होगा। सभी को अपने-अपने स्तर पर अपने साधनों का इस्तेमाल लोगों की जान बचाने के लिए करना होगा।
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