काला चटख रंग, औषधीय गुणों से भरपूर, 800 रुपए प्रति किलोग्राम की कीमत और अपने लजीज स्वाद के लिए मशहूर कड़कनाथ मुर्गा इन दिनो में खूब चर्चा में है
बिक्रम: प्रखंड के निसरपुरा गांव के रहने वाले जितेंद्र कुमार ने कड़कनाथ मुर्गा फार्म स्टार्ट किया है। जितेंद्र ने बताया कि उन्हे देसी मुर्गी पालन में दिलचस्पी रही है। कड़कनाथ का फॉर्म स्टार्ट करने के लिए वह महीनों से प्रयासरत थे लेकिन सही जानकारी के अभाव में ऐसा नहीं कर पा रहे थे। उन्हें किसानों के लिए काम करने वाली संस्था आवाज एक पहल बार के बारे में जानकारी हुई। संस्था ने उन्हें कड़कनाथ के चूजे उपलब्ध कराएं तथा इसके फार्मिंग सें संबंधित समुचित जानकारी उपलब्ध कराई!
आवाज एक पहल के लवकुश ने बताया की ह्लकड़कनाथ मुर्गाह्व मूल रूप से मध्यप्रदेश के झाबुआ और धार जिले में पाई जाने वाली मुर्गे की एक प्रजाति है । यह यहाँ के आदिवासियों और जनजातियों में बहुत लोकप्रिय है । ईसका शरीर का हर भाग पूर्णरूपेण काला होता है वही आमधारणा के विपरित इसके अंडे भी देसी मुर्गियों के अंडे जैसे ही होते हैं।कड़कनाथ प्रजाति का मुर्गा अन्य प्रजातियों के मुर्गो से बेहतर होता है. इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक और फैट की मात्रा न के बराबर पाई जाती है. यह विटामिन-बी-1, बी-2, बी-6, बी-12, सी, ई, नियासिन, कैल्शियम, फास्फोरस और हीमोग्लोबिन से भरपूर होता है. यह अन्य मुर्गो की तुलना में लाभकारी है.
आपको बता दें कि कड़कनाथ मुर्गे का एक अण्डा जहां 50 रुपए का मिलता है तो वहीं एक किलोग्राम मुर्गा आपको 500 रुपए में मिलेगा। तो वहीं एक दिन की चूजे की कीमत आपको 60 रुपए चुकानी होगी। अगर आप फुटकर बाजार से काला मुर्गा खरीदते हैं तो हो सकता है आपको 500 से 800 रुपए तक मिल जाए और अण्डा 25 रुपए तक में मिल सकता है।अगर आप इस मुर्गे का बिजनेस करना चाहते हैं तो आपको कुछ बातें ध्यान में रखनी होगी। अगर आप 100 चिकन रख रहे हैं तो आपको 150 वर्ग फीट की जगह की जरुरत होगी। तो वहीं अगर आपको 1000 काले मुर्गे रखने हैं तो आपको 1500 वर्ग फीट की जगह की जरुरत होगी। मुर्गे का फॉर्म गांव या शहर से बाहर मेन रोड से दूर हो, पानी या बिजली की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। हो सके तो फॉर्म उंचाई पर हो ताकि पानी का जमाव आस-पास न हो।
कड़कनाथ के पालन में इन बातों का रखना होगा ध्यान: चूंजों और मुर्गियों को अंधेरे में या रात में खाना नहीं देना चाहिए। मुर्गी के शेड में प्रतिदिन कुछ घंटे प्रकाश की आवश्यकता भी होती है। दो पोल्ट्री फॉर्म एक-दूसरे के करीब न हों। एक शेड में हमेशा एक ही ब्रीड के चूजे रखने चाहिए। पानी पीने के बर्तन दो-तीन दिन में जरुर साफ करें। फॉर्म में हवा और पर्याप्त रोशनी हो।


More Stories
सारण के जलालपुर में डबल मर्डर, रोड के किनारे फेंका शव, जांच में जुटी पुलिस
स्वचालित मौसम स्टेशनका किया गया शुभारंभ
मांझी पुलिस ने बरामद किया अंग्रेजी शराब