राष्ट्रनायक न्यूज। हिन्दुस्तान में जमीनों के झमेलों से भगवान भी नहीं बच पाते। या यूं कहें कि भगवान के नाम पर भी जमीनों के खेल कम नहीं। अयोध्या के ताजा भूमि क्रय विक्रय विवाद सरीखे कई विवाद के अलावा कई मामले हैं। आज हम आपको बता रहे हैं ओड़िशा के पुरी में विराजमान भगवान जगन्नाथ के नाम की भूमि के बारे में। 12 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल द्वितीया है, पुरी में रथ यात्रा निकाली जाती है। इसी तिथि को गुजरात के अहमदाबाद से लेकर मप्र के भोपाल, मानौरा, बासौदा समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जाती हैं। मप्र में अलग अलग जिलों में लॉर्ड जगन्नाथ पुरी ओड़िशा के नाम सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि है, जिसे पुरी के कतिपय पण्डे ठेके पर देकर हर साल वसूल ले जाते हैं, जो मंदिर ट्रस्ट तक नहीं पहुंचती। किस जिले में कितनी ऐसी भूमि है, इसका पूरा हिसाब दो दशक बाद भी नहीं मिल पाया है।
भगवान जगन्नाथ के नाम मप्र में भूमि का मामला वर्ष 2000 में तब सामने आया, जब उड़ीसा के तत्कालीन सांसद इस संबंध में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिले थे। प्रधानमंत्री कार्यालय से एक पत्र मप्र शासन को आया, जिसमें भगवान जगन्नाथ के नाम भूमि की जानकारी मांगी गई। यह पत्र धर्मस्व विभाग में पहुंचा तो खोजबीन शुरू हुई। एक साल में यह पता चल पाया कि तत्कालीन मप्र के 10 जिलों उज्जैन, झाबुआ, दमोह, जबलपुर, शहडोल, बस्तर, बिलासपुर, कांकेर रायगढ़, रायपुर में लॉर्ड जगन्नाथ पुरी ओड़िशा को दान में दी गई कृषि भूमि है।
विभाग ने इन जिलों के कलेक्टरों को लिखा कि कतिपय पण्डे किस अधिकार से जमीन को ठेके या सिकमी देकर पैसा वसूल ले जाते हैं। इस भूमि से कितनी आय होनी चाहिए, कितनी हो रही है, वह राशि मंदिर ट्रस्ट तक पहुंच रही है या नहीं? जानकारी जुटाने का काम शुरू हुआ, लेकिन उसी समय अलग छत्तीसगढ़ राज्य बन गया। भगवान जगन्नाथ की जमीन की जानकारी जुटाने काम ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। दस में से छह जिले छग में चले गए थे। शेष चार जिलों में 40 एकड़ जमीन का पता लग चुका था। यह भी पता चला कि अन्य जिलों में भी ऐसी दान की गई कृषि भूमि है। रिमाइंडर से सरकारी काम की सुस्ती दूर होती है। लॉर्ड जगन्नाथ मंदिर ट्रस्ट पुरी के नाम जमीनों की तलाश को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई स्मरण पत्र नहीं आया और न ही मप्र शासन ने फिर कोई जानकारी भेजी। मप्र में लॉर्ड जगन्नाथ को समर्पित भूमि सैकड़ों एकड़ में होने की संभावना है, जिसका हिसाब लेने का काम ठंडे बस्ते में दफन है।


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