राष्ट्रनायक न्यूज

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घर चलाने वाली गृहिणियों की बचाई रकम पर अब नहीं लगेगा आयकर

राष्ट्रनायक न्यूज।
क्या घर चलाने में गृहिणियों की बचाई हुई रकम पर इनकम टैक्स नहीं लगेगा, तो जवाब होगा कि नहीं, क्योंकि उत्तरप्रदेश के आगरा स्थित आईटीएटी ने गृहिणियों के हित में फैसला दिया है। आपको बता दें कि इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (आईटीएटी) के एक बेंच ने यह मान लिया है कि महिलाएं घर चलाते समय कुछ न कुछ पैसे बचाती हैं। साथ ही, उन्हें पति से भी कुछ पैसे मिल जाते हैं। इसके अलावा, बच्चों को घर पर आए कुछ रिश्तेदारों से भी आशीर्वाद स्वरूप कुछ पैसे मिल जाते हैं जो कि अंतत: गृहिणी के बचत में ही शामिल हो जाता है। यही वजह है कि आयकर विभाग इस रकम को उस महिला की आमदनी नहीं बता सकता है।

यहां पर यह स्पष्ट कर दें कि जो महिला शुद्ध रूप से गृहिणी (हाउसवाइफ) होती हैं, उनके ऊपर घर के सूक्ष्म प्रबंधन (आल टाइप आॅफ मैनेजमेंट) की भी जिम्मेदारी होती है। वास्तव में, घर गृहस्थी के रोज सौ काम होते हैं। हर दिन सुबह से ही उनका काम शुरू हो जाता है जो देर शाम तक अनवरत चलता ही रहता है। इस बीच कभी वह राशन लेती हैं, तो कभी दूध-अंडे-ब्रेड खरीदती हैं। कभी फल-सब्जी खरीदती हैं, तो कभी कुछ खराबी हो तो प्लंबर और इलेक्ट्रिशियन से काम कराती हैं। इस प्रकार के लगभग सभी कामों में मोल-भाव कर वह कुछ न कुछ पैसे बचा ही लेती हैं। इसके अलावा, कभी कभार कोई निकट या दूर का सगा-सम्बन्धी व रिश्तेदार आया या फिर कहीं उनके यहां आना-जाना हुआ तो बच्चों को या उन्हें कुछ नकद पैसे मिल जाते हैं। जिन्हें बचत के गुल्लक में ही डाल दिया जाता है। इसी तरीके से कोई कोई गृहिणी हजारों ही नहीं, बल्कि एक-दो लाख रुपये भी बचा लेती हैं। ऐसे में सहज ही यह सवाल उठता है कि क्या इस पर इनकम टैक्स लगेगा?

आमतौर पर हाउस वाइफ की बचाई रकम की थाह तो उनके पति भी नहीं लगा सकते हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2016 में जब मोदी सरकार की नोटबंदी आई थी तो ऐसी बचत भी सामने आ गई थी। बता दें कि एक गृहिणी ने अपनी बचत की 2,11,500 रुपये के पुराने नोट अपने बैंक में जमा कराए थे और इस रकम को उन्होंने अपनी घरेलू बचत बताया था। हालांकि, इस रकम को आयकर अधिकारी अतिरिक्त आय (अडिशनल इनकम) मान रहे थे और उस पर आयकर की मांग (इनकम टैक्स की डिमांड) कर दी। इसके बाद उस महिला ने इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल की शरण ली।

ततपश्चात, इस मामले को देखते हुए आगरा स्थित आईटीएटी में न्यायिक सदस्य ललित कुमार और लेखा सदस्य डा. मीठा लाल मीणा ने अपने दिए निर्णय में कहा कि नोटबंदी के समय उक्त महिला ने जो 2,11,500 की रकम जमा कराई, वह ढाई लाख रुपये की सीमा के अंदर है। इसलिए इसे एक्सेस इनकम नहीं माना जा सकता है। मतलब यह कि यह असेसी की कमाई नहीं है। इसलिए इस पर कराधान भी नहीं होगा। तब ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा कि असेसी ने यह रकम अपने पति, बच्चों और रिश्तेदारों से मिली छोटी-छोटी रकम को जोड़ कर बचाई है। लिहाजा, असेसी ने इसका पूरा विवरण भी दिया है। इसे मानने में कोई गुरेज भी नहीं है। इसलिए इस पर कोई टैक्स अथॉरिटी टैक्स नहीं वसूल सकता।

बताते चलें कि ललित कुमार और मीठा लाल मीणा की बेंच ने यह भी कहा कि उपरोक्त मामले में यह नहीं कहा जा सकता है कि महिला के पास कमाई का कोई जरिया नहीं था। क्योंकि यह समझा या माना जाता रहा है कि हाउस वाइफ यानी गृहिणी वर्षों से अपने परिवार में कई आर्थिक काम करती आ रही है। इसलिए, बेंच ने कहा कि यदि हम बहस के लिए इस ब्यौरे को दरकिनार भी कर देते हैं तो असेसिंग अधिकारी को इसके लिए पुख्ता सबूत देने होंगे कि बैंक में जमा रकम अघोषित आय थी और इसे किसी कारोबार या अन्य तरीके से बनाया गया है। हालांकि, अथॉरिटी की तरफ से इस बारे में कोई सबूत नहीं दिया गया है। इसलिए प्राधिकरण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि घर चलाने में गृहिणियों की बचाई हुई रकम पर आय कर नहीं लगेगा।

इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (आईटीएटी) के एक बेंच के इस फैसले से जहां गृहिणियों की बल्ले हो गई है, वहीं उनके परिजनों को भी इसी बहाने उनके नाम पर संचित धनराशि पर लगने वाले संभावित कर को बचाने का एक और छोटा मौका मिल गया है।