राष्ट्रनायक न्यूज।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम शब्द शायद बहुत से लोगों के लिए नया होगा। लेकिन यह एक घातक बीमारी है, जिसके चलते आपको अस्पताल तक में भर्ती होने की नौबत आ सकती है। इस सिंड्रोम का नाम सुनकर यकीनन आपको ऐसा लग रहा होगा कि यह तनाव या किसी तरह के शॉक या फिर टॉक्सिन से जुड़ी एक समस्या है। लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसे पीछे की वास्तविक वजह बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है। तो चलिए आज हम आपको टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम नामक दुर्लभ बीमारी और इसके लक्षण व उपचार पर चर्चा कर रहे हैं-
क्या है टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम: हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम वास्तव में एक दुर्लभ स्वास्थ्य समस्या है, जो मुख्यत: बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होती है। यह तब होता है जब जीवाणु स्टैफिलोकोकस आॅरियस रक्तप्रवाह में प्रवेश करता है और टॉक्सिन पदार्थ पैदा करता है। बैक्टीरिया आपकी त्वचा में एक छेद, जैसे कि कट, घाव या अन्य घाव के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश करते हैं। हालांकि टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम को पीरियड्स में महिलाओं में सुपरएब्जॉर्बेंट टैम्पोन के उपयोग से भी जोड़कर देखा जाता है।
महिलाओं के लिए है घातक: चूंकि इस टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का मुख्य कारण बैक्टीरियल इंफेक्शन है, इसलिए यह पुरुषों, बच्चों और सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। लेकिन महिलाओं में इसके होने का खतरा अधिक रहता है। खासतौर से, जो महिलाएं पीरियड्स के दौरान सुपरएब्जॉर्बेंट टैम्पोन का इस्तेमाल करती हैं, उनमें रिस्क फैक्टर कहीं अधिक है। हालांकि, एक्सपर्ट अभी तक इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं है कि टैम्पोन के कारण ऐसा क्यों होता है। कुछ लोगों का मानना है कि लंबे समय तक टैम्पोन इस्तेमाल करने से यह बैक्टीरिया को आकर्षित करता है। वहीं, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि टैम्पोन के फाइबर्स महिला की वेजाइना को स्क्रैच करते हैं, जिससे बैक्टीरिया आपके रक्तप्रवाह में आसानी से प्रवेश कर पाते हैं।
नजर आते हैं यह लक्षण: हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि इस बीमारी से पीड़ित होने पर मरीज में कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं। हालांकि, यह लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। सामान्य लक्षणों में-
- अचानक बुखार
- कम रक्तचाप
- सिरदर्द
- मांसपेशी में दर्द
- भ्रम की स्थिति
- दस्त
- जी मिचलाना
- उल्टी
- आंखों, मुंह और गले में रेडनेस आदि
ऐसे करते हैं पहचान: वैसे तो इन लक्षणों के आधार पर डॉक्टर शारीरिक परीक्षण के आधार पर टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम को डायग्नोस कर सकता है। लेकिन इसके अलावा, स्टैफिलोकोकस या स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया की पहचान के लिए रक्त और मूत्र की जांच की जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट, आपके गर्भाशय ग्रीवा, योनि और गले से कोशिकाओं के स्वाब भी ले सकते हैं। इन नमूनों का विश्लेषण टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम पैदा करने वाले बैक्टीरिया की पहचान के लिए किया जाता है।
उपचार का तरीका: हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम एक मेडिकल इमरजेंसी होती है और इसमें पीड़ित व्यक्ति को कई दिनों तक डॉक्टर की निगरानी में रहने की आवश्यकता हो सकती है। जीवाणु संक्रमण से लड़ने के लिए अक्सर डॉक्टर मरीज को एंटी बायोटिक देते हैं। वहीं, अगर कोई खुला घाव या सर्जिकल घाव आपके टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का कारण बनता है, तो डॉक्टर किसी भी संक्रमण को दूर करने में मदद करने के लिए घाव से मवाद या खून निकालेंगे।
मिताली जैन
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