- शुरूआती विरोध के बाद टीकाकरण के महत्व को समझने लगी हैं ग्रामीण अल्पसंख्यक महिलाएं:
- तमाम चुनौतियों के बावजूद गांव में नियमित जांच व टीकाकरण सत्र का कर रही संचालन:
- स्वास्थ्य अधिकारी व ग्रामीण भी हैं कायल, हर तरफ हो रही तारीफ़
किशनगंज (बिहार)। वैश्विक महामारी के इस दौर में सरकार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है। वर्तमान समय में कोरोना से बचाव को लेकर टीकाकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा हैहै। वहीं, चुनौतियों से भरे इस दौर में कुछ कर्मी जनसेवा व समर्पण की मिसाल बन कर सामने आये हैं।परिवार व समाज की खुशहाली व विकास में महिलाओं की भागीदारी शुरू से ही महत्वपूर्ण रही है। आज महिलाएं सामाजिक स्तर पर हर बड़े बदलाव का सूत्रधार बन रही हैं। क्षेत्र की महिलाओं ने सामुदायिक स्तर पर संक्रमण के प्रसार को रोकने व बचाव संबंधी उपायों को बढ़ावा देने के प्रयासों में जुटे रह कर कई क्षेत्रीय कार्यकर्ता अपनी सफलता का मिसाल पेश कर रही हैं. जिला मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अल्पसंख्यक बाहुल्य सिंघिया कुलामानी पंचायत की आशा कार्यकर्ता कौशल्या देवी का नाम भी कुछ ऐसी ही महिलाओं की सूची में शामिल है। जिन्होंने संक्रमण से बचाव संबंधी उपायों के प्रति लोगों को जागरूक करने, पीड़ित लोगों को जरूरी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें टीकाकरण के लिये प्रेरित करते हुए पूरे समुदाय को कोरोना से सुरक्षित करने की अपनी मुहिम में अब तक बेहद सफल साबित हुई हैं।
लोगों के लापरवाह रवैया में बदलाव का बनी सूत्रधार :
अल्पसंख्यक बाहुल्य सिंघिया कुलामानी पंचायत में कोरोना महामारी को लेकर शुरू से ही लोगों के बीच असमंजस की स्थिति रही है। यहां तक की गांव में किसी की तबीयत खराब होने बावजूद लोग जांच से कतराते थे। आम लोगों में शिक्षा का अभाव जागरूकता के मार्ग में बाधा थी। वहीं मेहतन मजदूरी कर किसी तरह जीविकोपार्जन में लगे गांव की अधिकांश आबादी स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को लेकर अनभिज्ञ बने थे। इधर पंचायत के वार्ड संख्या 09 की आशा कार्यकर्ता कौशल्या देवी लगातार प्रखंड व जिला स्तर पर हो रही स्वास्थ्य संबंधी बैठकों में अपनी भागीदारी के कारण महामारी की गंभीरता से बहुत हद तक परिचित हो चुकी थी। उन्होंने ग्रामीणों के इस लापरवाह रवैया में बदलाव की ठानी। और अपने प्रयासों में जुट गयी। उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर लोगों से संपर्क करना शुरू किया। गृह भ्रमण के दौरान उन्होंने लगातार ग्रामीण महिलाओं को महामारी के खतरों के प्रति आगाह किया। जहां कहीं भी संक्रमित मरीज होने का पता चलता, वह वहां जाकर लोगों को इसके खतरे के प्रति आगाह करते हुए बचाव संबंधी उपाय की विस्तृत जानकारी देती। उनकी सलाह से लोग तेजी से ठीक हो रहे थे। इस तरह उन्होंने ग्रामीणों खास कर महिलाओं का विश्वास जीतने में सफल रही।
निरंतर प्रयासों से ग्रामीण महिलाओं को टीकाकरण के लिये किया राजी :
कौशल्या देवी कहती हैं कि संक्रमण की पहली लहर में उनके हाथ कुछ भी नहीं था. लेकिन दूसरी लहर के आने तक कोरोना टीका के रूप में हमारे पास एक मजबूत हथियार उपलब्ध हो चुका था। बावजूद इसके टीकाकरण के लिये लोगों को जागरूक करने के लिये संचालित अभियान के दौरान उन्हें महसूस हुआ कि गांव के कुछ लोग कोरोना को कोई रोग मानने को तैयार नहीं थे। वहीं बहुत से लोगों के मन टीकाकरण को लेकर व्याप्त संशय अभियान की सफलता में बाधक साबित हो रहा था। लोग टीकाकरण को लेकर सोशल मीडिया पर परोसे जा रहे भ्रामक जानकारियों से प्रभावित थे। बावजूद इसके उन्होंने अपनी जिद नहीं छोड़ी। उन्होंने पंचायत के मुखिया सहित अन्य जनप्रतिनिधियों से संपर्क स्थापित कर लोगों के बीच जागरूकता अभियान के संचालन का निर्णय लिया। ग्रामीण स्तर पर जागरूकता संबंधी बैठकें व चौपाल आयोजित किये गये। क्षेत्र में लगातार जागरूकता संबंधी बैठक का आयोजन ही नहीं किया बल्कि एएनएम एवं आंगनबाड़ी सेविका के साथ मिलकर गृह भ्रमण के दौरान भी उन्होंने लोगों को जागरूक करने का प्रयास नहीं छोड़ा | कुछ ही दिनों में इसका सकारात्मक परिणाम दिखने लगा। पहले जो लोग टीकाकरण के विरोध में अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे। जागरूकता अभियान से जुड़ कर वे भी अब लोगों को टीकाकरण के लिये प्रेरित करने की मुहिम में जुट गये।
संक्रमण के इस दौर में आशा कार्यकर्त्ता कौशल्या का प्रयास सराहनीय :
सिंघिया कुलामानी पंचायत के मुखिया श्री शिव लाल दास वैश्विक महामारी के इस दौर में कोशल्या देवी के प्रयासों की तारिफ करते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को संक्रमण के पहले एवं दुसरे लहर में संक्रमण के प्रति जागरूक करने व सुरक्षा के लिहाज से उनका जांच एवं टीकाकरण सुनिश्चित कराने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
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