नयी दिल्ली, (एजेंसी)। चुनाव आयोग के 2019-20 के लिए जारी इलेक्टोरल बॉन्ड्स के आंकड़ों के अनुसार भाजपा ने तीन-चौथाई हिस्से पर कब्जा किया है। साल 2019-20 में कुल 3,355 करोड़ रुपए के इलेक्?टोरल बांड बेचे गए थे। जिसका महज 9 फीसदी हिस्सा ही देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को मिला। जबकि वर्तमान समय की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के पास 74 फीसदी हिस्सेदारी रही। अंग्रेजी समाचार पत्र ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्टोरल बॉन्ड्स ने राजनीतिक पार्टियों के लिए सभी तरह के राजनीतिक धन के मार्गों को समाप्त कर दिया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ सालों से इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए प्राप्त पारदर्शी चंदे के मामले में भाजपा पहले स्थान पर है। चुनाव आयोग के मुताबिक साल 2019-20 में भाजपा को 2,555 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। जबकि कांग्रेस को महज 318 करोड़ रुपए मिले।
वहीं साल 2018-19 में कांग्रेस को इलेक्?टोरल बांड्स के जरिए 383 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। लेकिन साल 2019-20 की बात करें तो पार्टी को कुल इलेक्टोरल बांड्स का 9 फीसदी हिस्सा प्राप्त हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019-20 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को इलेक्टोरल बॉन्ड्स के माध्यम से 29.25 करोड़ रुपए, तृणमूल कांग्रेस को 100.46 करोड़ रुपए, द्रमुक को 45 करोड़ रुपए, शिवसेना को 41 करोड़ रुपए, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को 2.5 करोड़ रुपए और आम आदमी पार्टी (आप) को 18 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। गौरतलब है कि साल 2018 में सरकार ने राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए इलेक्टोरल बांड्स की शुरूआत की थी। जिसके माध्यम से व्यक्ति, संस्थान या फिर कोई भी इलेक्टोरल बांड्स खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के तौर पर दे सकती है। जिसके बाद राजनीतिक दल इलेक्टोरल बांड्स के माध्यम से पैसे ले सकते हैं।


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