पटना: बिहार के 4.5 लाख कर्मी अपने और आश्रितों के इलाज पर अब दस लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें सिर्फ विभागीय स्तर से ही मंजूरी लेनी होगी और इलाज पर खर्च की गयी राशि की प्रतिपूर्ति (रिम्बर्समेंट) की जा सकेगी। दस लाख रुपये से अधिक राशि इलाज पर खर्च होने पर उसकी पूर्ति के लिए वित्त विभाग की सहमति लेनी होगी।
स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव राम ईश्वर ने राज्यकर्मियों एवं उनके आश्रितों के चिकित्सा खर्च की प्रतिपूर्ति को लेकर विभिन्न स्तरों पर दिए गए शक्ति में संशोधन का संकल्प जारी कर दिया। इस संकल्प के अनुसार, संबंधित मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के अधीक्षकों की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति की अनुशंसा पर ही प्रशासी विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव या सचिव प्रतिपूर्ति राशि के भुगतान की मंजूरी देंगे।
50 हजार से 10 लाख तक की मंजूरी दे सकेंगे प्रधान सचिव: विभाग के अनुसार 50 हजार से दस लाख रुपये तक इलाज पर होने वाले खर्च की मंजूरी विभागीय प्रधान सचिव ही दे सकेंगे। विभाग ने विभागीय प्रधान के स्तर के अधिकारी को चिकित्सा प्रतिपूर्ति की मंजूरी देने के अधिकार की पांच लाख रुपये तक की सीमा को बढ़ाकर दस लाख रुपये तक कर दिया है। पूर्व में पांच लाख रुपये से अधिक राशि की प्रतिपूर्ति को लेकर वित्त विभाग से सहमति लेनी पड़ती थी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्य के नियमित सेवाकर्मियों व उनके आश्रितों के इलाज पर होने वाली खर्च की राशि की प्रतिपूर्ति के अधिकार को बढ़ाया गया है। राज्य में करीब 4.5 लाख नियमित सेवाकर्मियों एवं उनके छह लाख आश्रितों के इलाज पर होने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति के भुगतान में सुविधा होगी।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 50 हजार रुपये तक इलाज पर खर्च की प्रतिपूर्ति राशि के भुगतान की मंजूरी नियंत्री पदाधिकारी दे सकेंगे। इसके पूर्व संबंधित जिला के सिविल सर्जन द्वारा सभी बिलों की अनुमान्यता व शुद्धता की जांच की जाएगी। विभाग द्वारा जारी संकल्प के अनुसार दस लाख रुपये से अधिक के चिकित्सा खर्च की प्रतिपूर्ति के भुगतान को लेकर वित्त विभाग से मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद प्रशासी विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रधान सचिव या सचिव द्वारा भुगतान का निर्देश दिया जाएगा।
विभाग के अनुसार पांच वर्ष के बाद सरकारी कर्मियों व उनके आश्रितों के इलाज पर खर्च की प्रतिपूर्ति को लेकर अधिकारियों की शक्ति को बढ़ाया गया है। कोरोना महामारी की पहली व दूसरी लहर सहित वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इलाज पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति की स्वीकृति के प्रावधानों में संशोधन किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इसे सर्वसाधारण की जानकारी के लिए गजट में भी प्रकाशित करने का निर्देश दिया है।


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