शिमला, (एजेंसी)। भारतीय जनता पार्टी जिस तरीके से अपने मुख्यमंत्री को बदल रही है। उससे कई नेताओं में साफ बेचैनी महसूस की जा सकती है। हिमाचल की राजनीति में भी इन दिनों आने वाले तूफान से पहले खामोशी का आलम है। पार्टी में मौजूद मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को जल्द हटाए जाने की चर्चा इन दिनों जोरों पर है। उनकी जगह केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की ताजपोशी की संभावनाएं जताई जा रही हैं। दरअसल, हिमाचल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले है। लेकिन पार्टी को जो फीडबैक मिला है। उससे साफ हो गया है कि जय राम ठाकुर के सहारे पार्टी की सत्ता में वापसी नहीं हो सकती है। कयास लगाये जा रहे हैं कि प्रदेश में पार्टी नेतृत्व अगले चुनावों को देखते हुये उत्तराखंड की तर्ज पर नया सीएम बना सकती है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह सीएम जय राम ठाकुर की लोकप्रियता में लगातार आ रही कमी को बडी वजह माना जा रहा है। सरकार ने कई ऐसे निर्णय लिये है। जिनका कोई भी प्रभाव पार्टी के वोट बैंक पर नहीं पड पाया।
हालांकि जे पी नडडा के वरदहस्त के चलते जय राम ठाकुर अपने कार्यकाल के साढ़े तीन साल से अधिक समय को पूरे करने में कामयाब रहे है। लेकिन पार्टी के भीतर उनके विरोधियों ने उन्हें गाहे बगाहे चुनौती दी है। जय राम ठाकुर ने अपने विरोधियों से टकराने के बजाये बीच का ही रास्ता हर बार चुना। यही वजह रही कि इसी माह होने वाले उपचुनावों को चुनाव आयोग के जरिये टलवा दिया गया। ताकि सीएम किसी भी जिम्मेवारी से साफ बच निकल सकें।
लेकिन पिछले दिनों जिस तरीके से केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपनी आशीर्वाद यात्रा के जरिये प्रदेश का दौरा किया उससे उन्होंने अपने आपको मजबूत लोकप्रिय नेता के तौर पर पेश किया । सही वजह है कि प्रदेश भाजपा की राजनीति इन दिनों बदली बदली नजर आ रही है। अनुराग ठाकुर की प्रदेश में बढ़ती ताकत के साथ नया राजनैतिक महौल तैयार होने लगा है। माना जा रहा है कि अगले चुनावों को देखते हुये पार्टी नेतृत्व उत्तराखंड की तर्ज पर हिमाचल में भी नया सीएम बना सकती है । और इसके लिये अनुराग ठाकुर मजबूत दावेदार के रूप में उभरे हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में अपनी हार की वजह से अनुराग ठाकुर के पिता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ऐन वक्त पर सीएम की कुर्सी पर बैठने से चूक गये थे हालांकि चुनावों से पहले पार्टी ने उन्हें सीएम के चेहरे के तौर पर पेश कर चुनाव लडा लेकिन सुजानपुर विधानसभा से धूमल चुनाव हारे तो उनके सपने धराशायी हो गये । व उसके बाद जय राम ठाकुर को सीएम की कुर्सी मिली। हार के बाद से धूमल अपने राजनीतिक पुनर्वास की बाट जोह रहे हैं। प्रदेश भाजपा में अभी करीब डेढ दर्जन विधायक धूमल समर्थक बताये जाते हैं।
भले ही सीएम की कुर्सी पर जय राम ठाकुर काबिज हो गये लेकिन उन्हें धूमल खेंमे से लगातार चुनौती मिलती रही है। सीएम जय राम ठाकुर से नाराज नेता व विधायक धूमल खेमें में ताल ठोंकते रहे हैं । यही वजह है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को दखल देकर लगातार शिमला से लेकर धर्मशाला तक बैठक करनी पड़ी ताकि पार्टी को एकजुट रखा जा सके । लेकिन इसके बावजूद कोई परिवर्तन गुटबाजी में नहीं आ पाया। इसके पीछे हाल ही में निगमों बोर्डों में हुई नियुक्तियों को प्रमुख वजह माना जा रहा है। माना जा रहा है कि अगी नेताओं में मौजूद सीएम के प्रति कोई नाराज न होती तो अनुराग ठाकुर की यात्रा के दौरान सभाओं में इतनी भीड़ न जुटती। दरअसल, अनुराग ठाकुर की ताजपोशी के बाद हुई आशीर्वाद यात्रा में अनुराग ठाकुर को मिले जन समर्थन से नये राजनीतिक समीकरण उभर कर सामने आये। सीएम जय राम ठाकुर से नाराज नेताओं को अनुराग ठाकुर नये सहारे के तौर पर मिले हैं। यही वजह है कि कई नेता इन दिनों दिल्ली में अनुराग ठाकुर के दरबार में हाजिरी भरते नजर आ रहे हैं।
गौरतलब है कि यात्रा के दौरान अनुराग ठाकुर व धूमल के सहयोगी नेताओं का खुलकर शक्ति परीक्षण देखने को मिला था। सही वजह है कि अब पार्टी को लगने लगा है कि जय राम ठाकुर के सहारे विधानसभा चुनाव नहीं जीता जा सकता है। संकेत साफ हैं कि आने वाले समय में पार्टी हिमाचल में नेतृत्व परिवर्तन करेगी। इससे पहले जय राम ठाकुर अपनी ही पार्टी के नाराज नेताओं से पहले ही चुनौती मिलती रही है। प्रदेश संगठन मंत्री पवन राणा और ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला के बीच तकरार से अच्छा खासा विवाद पैदा हुआ था। जिससे पार्टी में बगावत का खतरा पैदा होने लगा था।
चूंकि धवाला जहां आरोप लगा रहे थे,कि संगठन मंत्री उनके कामकाज में दखल दे रहे हैं विधायक रमेश धवाला ने संगठन महामंत्री पवन राणा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि वह हिमाचल में समानांतर सरकार चला रहे हैं। राणा केवल उनके ही नहीं, बल्कि हर विधायक के कामकाज में टांग अड़ा रहे हैं। विधायकों के यहां समानांतर खड़े लोगों को अगली बार टिकट दिलाने के वादे तक कर रहे हैं। धवाला ने चेताया था कि हिमाचल में समानांतर सरकार नहीं चलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को ज्वालामुखी में पार्टी से निकाला, उन्हें ही अधिमान देकर पदाधिकारी बना दिया।


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