राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

बच्चों में बढ़ रहा कोरोना

राष्ट्रनायक न्यूज।

यद्यपि कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप कम होता दिखाई दे रहा है और दूसरी तरफ भारत में वैक्सीनेशन अभियान तीव्र गति से चल रहा है। अब तक 75 करोड़ लोगों को वैक्सीनेशन की डोज लगाई जा चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारत की सराहना की है। इसी बीच भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का उपचार करा रहे मरीजों में बच्चों की संख्या में बढ़ौतरी देखने को मिली है। देश में कोरोना आपातकालीन रणनीति तैयार करने वाले एक्पावर्ड ग्रुप-क (ईजी-क) के डेटा में इस बात का खुलासा हुआ है। इस साल मार्च के बाद से कुल एक्टिव केसों में दस वर्ष से कम उम्र के बच्चों की हिस्सेदारी 2.80 फीसदी से बढ़कर अगस्त में 7.04 हो गई है। यानी हर सौ एक्टिव केसों में से लगभग सात बच्चे हैं। बच्चों के प्रति मामूली बदलाव को नाटकीय नहीं कहा जा सकता। विशेषज्ञों का कहना है कि 1-10 साल के आयु वर्ग में बढ़ते कोरोना मामले युवाओं के वायरस के प्रति कम सेंसिटिविटी का परिणाम हो सकते हैं। अगस्त के महीने में जिन 18 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के आंकड़े उपलब्ध हैं, उनमें से मिजोरम से बच्चों में कोरोना के मामले 16.48 फीसदी के साथ सबसे ज्यादा हैं, जबकि दिल्ली में 2.25 फीसद के साथ सबसे कम है।

अस्पताल में बच्चों के भर्ती होने का अनुपात भी पहले की तुलना में अधिक है। यदि सीरो सर्वेक्षण को देखा जाए तो बच्चों में पॉजिटिविटी रेट 57-58 प्रतिशत है। इससे पता चलता है कि बड़े पैमाने पर बच्चे महामारी का हिस्सा हैं और हमेशा महामारी का हिस्सा रहे हैं। भारतीय आर्युविज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा जून और जुलाई में किए गए कोरोना के राष्ट्रीय सीरो सर्वेक्षण के चौथे दौर से पता चलता है कि 6 से 9 आयु वर्ग के बच्चों में पॉजिटिविटी रेट 61.6 फीसदी था जोकि 10 से 17 आयु वर्ग में पूरी आबादी के 67.6 फीसदी से कम है। विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका व्यक्त करते हुए बच्चों के सर्वाधिक प्रभावित होने की बात कही थी। आबादी के हिसाब से देश में बच्चों की 30 करोड़ की आबादी है। इस वर्ष के अंत तक दस वर्ष से कम उम्र के बच्चों की कुल जनसंख्या का लगभग 17 प्रतिशत को कोरोना होने का अनुमान है। अगर परिवार में संक्रमण होगा तो बच्चे इससे अछूते नहीं रहेंगे। यदि 3 करोड़ बच्चे संक्रमित हो जाते हैं और इनमें एक प्रतिशत को भी अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ी तो क्या हम इसके लिए तैयार हैं। यह स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी।

बड़े शहरों को छोड़कर दूसरे शहरों में बच्चों के लिए आईसीयू नहीं है। चिकित्सा सेवा के मामले में दक्षिण भारत के राज्य उत्तर भारत की तुलना में कहीं बेहतर हैं लेकिन दक्षिण भारत के हर राज्य में? सिर्फ बड़े शहरों में गिने-चुने ही बच्चों के लिए आईसीयू हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हमारा बुनियादी ढांचा, सुविधाएं या मानव संसाधन के मामले में बच्चों की देखभाल के लिए कितनी तैयारी कर रहा है। कुछ राज्यों ने बच्चों के लिए आईसीयू बनाने की शुरूआत कर दी है। एक्पावर्ड ग्रुप-क ने बच्चों के प्रभावित होने की आशंका के दृष्टिगत आईसीयू बैड के पांच प्रतिशत, गैर आईसीयू आक्सीजन बैड के चार प्रतिशत को बाल चिकित्सा देखभाल के लिए रखा जाना चाहिए। बच्चों में कोरोना केस बढ़ने की खबर से अभिभावक भी चिंतित होंगे। अभिभावकों को किसी भी तरह के तनाव में नहीं आकर सावधानियां बरतनी होंगी ताकि बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सके। अभिभावकों को अपने बच्चों पर नजर रखनी होगी। बच्चों में हल्के लक्षण नजर आए तो उपचार के साथ-साथ हैल्दी डाइट दें। बच्चों को बार-बार हाथ धोने और मास्क पहनने की आदत डालें। हालांकि कोरोना की तीसरी लहर को बहुत कम असर वाली माना जा रहा है। केरल से सबक लेकर हैल्थ सैक्टर को बच्चों को बचाने के लिए नई रणनीति पर काम करना होगा। दस साल से कम आयु के बच्चों के लिए बायोलाजिकल ई जैसे वैक्सीन की आवश्यकता मंजूरी लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 12 से 18 वर्ष के उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन भी जल्द आने वाली है। अस्पतालों को भी बच्चों के लिए बैड की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर देश के मासूमों की जान बचाई जा सके।