लेखक- अहमद अली
आज ईद है। मुसलमानों का खुशियों का त्योहार। ईद का शाब्दिक अर्थ भी खुशी या हर्षोल्लास ही है। एक माह रोजा रखने के बाद उसका इनाम पाने के दिन के रुप में भी इसे इस्लाम धर्म में माना जाता है। कल से ही सोशल मिडिया पर मुबारकबाद का सिलसिला शुरु हो गया है। इनमें वो भी शामिल हैं जो MAN F को केन्द्र सरकार द्वारा समाप्त करने पर खुशियाँ बाँट रहे थे, वो भी हैं जो अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिये बजट में निर्धारित राशि में 38% की कटौती पर वाह वाह कर रहे थे,वो भी शरीक हैं जो मुसलमानों के मौब लिंचिंग करने वालों को माला पहनाते हैं।देश के आंतरिक दुश्मन कहने वाले, पाकिस्तान चले जाने का सलाह देने वाले,दोयम दर्जे का नागरिक बनाने को वकालत करने वाले, वोट का अधिकार छीन लेने के इच्छुक, मस्जिद और मदरसा तोड़ने वाले, हाँ, सभी लोग शामिल हैं।काश वो हृदय से मुबारकबाद देते तो उस संस्कृति का आज चहुओर डंका बज रहा होता, जिस संस्कृति के बदौलत गोरे अपने देश से भागने को मजबूर हुए थे। खैर …………….
**** *** आप सभी को मुबारकबाद **** ***
दोस्त दुश्मन सबको
लेकिन एक बात तो भुलाए नहीं भूलेगी।रमजान का बीता हुआ मुकद्दस महीना।रामनवमी के दिन जिस प्रकार नालंदा और रोहतास जिलों में तबाही मचाई गयी।अजीजिया मदरसा के नायाब पुस्तकों को आग के हवाले किया गया और मुसलमानों के सब से पवित्र ग्रंथ कुरान को भी जला दिया गया। फिर
रोजेदारों को ही दोषी ठहराया जाने लगा।भाजपा और
बिकाऊ मिडिया द्वारा झूठा प्रोपगंडा चलाया गया।तुमने तो ईद की खुशियाँ ही उनसे छीन ली!उनकी ईद की खुशियाँ भी मानों धू धू कर चल गयी।केवल बिहार ही नहीं पूरे देश में कमों बेश यह कहर बरपाया गया था। 2024 की तैयारी में मुसलमानों की ईद की खुशियों में पलीता लगा दिया गया।ये ईद इसी मातमी और दहशतज़दा माहौल में आई है।फिर मुड़झाया हुआ ईद मुबारक हो तो आश्चर्य न करना।
कुछ त्योहार ऐसे होते हैं जो किसी खास कौम का होते हुए भी व्यवहार में सबका प्रतीत होता है ।अर्थात सभी मिल कर एक दूसरे की खुशियों में शरीक होते हैं।जैसे ईद , होली, मुहर्रम ओनम , क्रिसमस आदि।विगत आठ नौ बरस से माहौल इस प्रकार विषाक्त एवं कुत्सित बना दिया गया है कि एक कौम के लोग दूसरे को शक की निगाह से देखने लगे हैं।अब पर्वों में पकवानों की मिठास वो नहीं रहा जो पहले हुआ करता था।
उन अमन पसंद लोगों को तहे दिल मुबारकबाद,
जो तोड़क तत्वों का मुकाबला करने का जिगर रखते हैं।
आओ दोस्तो,
सत्ता के गलियारों से आ रही नफरती हवाओं के बीच
गले लगकर, सबको दें
” ईद का मुबारकबाद ”
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हिन्दू, मुस्लिम ,सिख,ईसाई एक ही सफ में आएँ।
नफरत की दीवारों पे उल्फत के दीप जलाएँ।।
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