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मजबूत हौसलों की बदौलत कोरोना को मात देकर फिर से मरीजों की सेवा में जुटे सारण के सिविल सर्जन

मजबूत हौसलों की बदौलत कोरोना को मात देकर फिर से मरीजों की सेवा में जुटे सारण के सिविल सर्जन

  • कोरोना योद्धा के रूप में दिन रात निभा रहें अपना फर्ज
  • कोरोना मरीजों की सेवा के दौरान हो गये थे संक्रमित
  • मरीजों के एक फोन पर दौड़े चलते आते है अस्पताल
के. के. सिंह सेंगर। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
छपरा (सारण)। चिकित्सक का भगवान के बाद दूसरा स्थान है। यह स्थान इसलिए मिला है कि चिकित्सक भी मरीज की जिंदगी बचाकर उसे नया जीवनदान प्रदान करते हैं। इस महामारी में दौर में काफी चिकित्सक ऐसे हैं। जिनकी जिंदगी खतरे में पड़ गई। लेकिन अपने फर्ज से पीछे नहीं हटे। इनमें से एक हैं सारण के सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा। अपनी ड्यूटी देते हुए वह खुद भी कोरोना संक्रमित हो गए थे। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उनकी तबियत बिगड़ी और उन्हें पटना के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर उनका उपचार किया गया। कोरोना को मात देकर वे पूरी तरह से स्वस्थ हुए। स्वस्थ ही नहीं हुए बल्कि वापस ड्यूटी भी संभाल ली है।

कोरोना काल में डॉक्टर भूमिका महत्वपूर्ण:

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा कहते हैं कि कोरोना काल में तो चिकित्सक की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जब इस तरह से संक्रमण का खतरा रहता है। लेकिन चिकित्सक का पेशा ही ऐसी परिस्थितियों से लडऩे का है। उन्होंने कहा,  “मैं कोरोना से संक्रमित हो गया। अगर मैं ऐसे समय में हौसला तोड़ता तो अन्य चिकित्सकों का आत्मविश्वास भी कम होता। इसलिए खुद को संक्रमण से स्वस्थ किया और टीम को सकारात्मक संदेश देने का काम भी किया।” कोरोना वायरस महामारी के संकट से निपटने में स्वास्थ्य महकमे की सबसे बड़ी भूमिका है। सीमित संसाधनों के दम पर कोरोना से जंग लड़ने की प्रबल इच्छा शक्ति कोरोना वारियर्स को दिनों-दिन और मजबूत कर रही है।

कोरोना से डटकर करें मुकाबला:

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने कहा कि “जिम्मेदारी के आगे कोरोना संकट बौना है। यह तो कुछ भी नहीं। इससे बड़ा भी संकट आ जाए, वह फिर भी पीछे नहीं हटने वाले। ड्यूटी के दौरान पता ही नहीं चला कि कब मैं संक्रमित हो गया। जब संक्रमित हो गया तो उसका भी डटकर मुकाबला किया। परिणाम सामने है। कुछ ही दिनों के भीतर फिर से हर स्तर पर तैनाती के लिए तैयार हूं। आवश्यकता है अपने हौसले को बरकरार रखने की। लोगों से अपील है कि कोरोना संक्रमित होने पर उससे घबराएँ नहीं, बल्कि उसका डटकर मुकाबला करें।”

फोन से घबराते नहीं, एक फोन पर चले जाते मरीजों को देखने:

जिले के किसी भी व्यक्ति का फोन सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा के माबाईल आता है। रोज सभी फोन अटैंड कर मरीजों की बात सुनना और उन्हें सलाह देना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है।  तरह-तरह के सवाल उनसे फोन पर किए जाते है। लेकिन बेहद सरल ओर सहज तरीके से उन बातों का जवाब देते है। रात या दिन किसी भी समय अगर किसी मरीज की शिकायत आती है कि व्यवस्था नही मिल रही है तो वो तुंरत अस्पताल पहुंच जाते हैं और उस मरीज को बेहतर उपचार की मुहैया उपलब्ध कराते हैं। कोरोना वार्ड से लेकर उसके इंतजाम, होम क्वारंटीन से लेकर आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था सब इन्हीं के कंधों पर है। अस्पताल में बने कोरोना वार्ड की मॉनिटरिंग करने के साथ सुबह सात से लेकर रात 10 बजे अस्पताल को समय देना आदतों में शुमार है।