केंद्र सरकार के वादाखिलाफी के खिलाफ 17 सितंबर को बेरोजगार युवाओं द्वारा राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस मनाया जाएगा
- 17 सितंबर को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का 70 वां जन्म दिवस है।
लेखक: अमित नयन
आमतौर पर खास एवं चुनिंदा लोगों के जन्मदिन पर बधाइयों का सिलसिला जारी रहता है, लोग उस दिन उस व्यक्ति विशेष को उस दिन दीर्घायु, ऊर्जावान एवं कर्मठता की दुआएं एवं कामनाएं करते हैं। लेकिन इस बार 17 सितंबर को भारत में प्रधानमंत्री को जन्मदिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं मिलने के साथ-साथ देश के बेरोजगारों, युवाओं, मजदूरों एवं किसानों द्वारा केंद्र सरकार के वादाखिलाफी के खिलाफ पूरे हिंदुस्तान में प्रतिरोध का नजराना पेश किया जाएगा।
ज्ञात हो कि 2013 में उस समय के संप्रग सरकार से आम जनमानस रुष्ट हो गए थे। देश में महंगाई, बेरोजगारी एवं भ्रष्टाचार अपना तांडव करतब दिखा रहा था। ऐसा दृश्य एवं सूचना हमें टेलीविजन चैनलों एवं समाचार पत्रों में दैनिक रूप से देखने को मिलता था। उस समय विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी ने आम जनों के सामने तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में प्रस्तुत किया।
खुद को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित होने के बाद विभिन्न जनसभाओं में नरेंद्र मोदी ने देश के युवाओं को सत्ता में आने के बाद प्रत्येक वर्ष दो करोड़ रोजगार, किसानों को उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य, किसानों के आय को दोगुना करने का भरोसा, महंगाई कम करने, महिलाओं की सुरक्षा एवं देश की अस्मिता को बरकरार एवं गौरवान्वित करने का भरोसा दिलाया। जिसे आमजनों ने भरोसा कर 2014 में बीजेपी को सत्ता के कुर्सी पर बैठाया। लेकिन देश का दुर्भाग्य है की आम जनों की जन आकांक्षाओं को तरजीह न देकर एनडीए सरकार पूंजीपतियों एवं कुछ चुनिंदे व्यक्तियों एवं परिवार की खातिरदारी में मशगूल है।
जिसे इस प्रकार से हम देख एवं समझ सकते हैं, पिछले 42 सालों में सर्वाधिक बेरोजगारी का रिकॉर्ड भारत के नाम दर्ज हो गया है। रेलवे, एसएससी समेत विभिन्न विभागों में भारी रिक्तियां होने के बावजूद इनके रिक्त पदों को भरने का प्रयास सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा। एनटीपीसी की परीक्षा कब होगी यह कोई नहीं जानता।
भारत में कोरोना के दस्तक से पूर्व जीडीपी 3.24 प्रतिशत के पास चला गया था, वर्तमान में जीडीपी इससे और अधिक दर्द देते हुए, आश्चर्यजनक रूप से – 26.42% के पास चली गई है जो चिंता का सबब है।
प्रत्येक वर्ष दो करोड़ रोजगार मिलने के बदले डेढ़ लाख सरकारी एवं निजी क्षेत्रों में नौकरियां खत्म हो रही है। रोजगारपरक संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने की कवायद तेज हो गई है। इसके कारण सरकारी नौकरियों के ऊपर भविष्य में भी खतरे उत्पन्न हो रहे हैं।
अपनी महत्वाकांक्षाओं एवं भविष्य को गर्त में जाते हुए देख, छात्र-युवाओं का गुस्सा उफान पर है। जिसे 17 सितंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्म दिवस पर उनके द्वारा किए गए वादाखिलाफी के विरोध में राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस मनाने की तैयारी जोर शोर पर है। जिसे सोशल साइटों टि्वटर, फेसबुक इंस्टाग्राम इत्यादि सोशल साइटों पर देखने को मिलेगा।
(लेखक के अपने विचार है।)
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