देश में दलित का बड़ा चेहरों होने के बाद भी रामविलास पासवान कभी सीएम व पीएम नहीं बन पाये
पटना। बिहार हीं नहीं बल्कि देश में दलितोंं का बड़ा चेहरा माने जाने वाले लोक जनश्क्ति पार्टी के संस्थापक एवं केन्द्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मामलो के मंत्री रामविलास पासवान अब हमारे बीच नही है। करीब 5 दशक तक अपना राजनीतिक सफर तय करने वाले वाले रामविलास पासवान के लिये दो अवसर ऐसा आया जिसमें वे बिहार के मुख्यमंत्री या फिर भारत के प्रधान मंत्री हो सकते थे। लेकिन शायद उनके भाग्य में यह नही लिखा था। .
केन्द्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले रामविलास के लिये 1996 में ऐसा अवसर आया कि वे देश के प्रधानमंत्री बन सकते थे। अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनो की सरकार अल्पमत में आने के बाद संयुक्त मोर्चे की सरकार मे प्रधानमंत्री का पद पूर्व प्रधान मंत्री विश्व नाथ प्रताप सिंह और पश्चिम बंगाल के तात्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु द्वारा ठुकरा दिये जाने के बाद रामविलास पासवान का नाम सामने आया था और श्री पासवान की इच्छा भी थी। लेकिन अमर सिंह के कहने पर मुलायम सिंह ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी देवगौड़ा का नाम आगे किया और सी पी एम के महासचिव हरिकिशन सिंह सुरजीत ने सभी लोगो की सहमति बनायी और देवगौड़ा पीएम बन गये, हालांकि देवगौड़ा के राज्य सभा सदस्य होने के कारण सदन के नेता रामविलास ही रहे। लेकिन प्रधानमंत्री की कुर्सी सामने रहते हुए भी उनके नसीब में नही आयी।
दूसरा अवसर 2000 और 2005 में बिहार विधान सभा चुनाव परिणाम के बाद उत्पन्न परिस्थिति के कारण हुआ। 2000 में राजद को पूर्ण बहुमत नही मिलने और 2005 में सत्ता की चाबी रामविलास के पास आने के बाद भी वे सीएम नही बन पाये। हालांकि 2000 में एक सप्ताह के लिये ही नीतीश मुख्यमंत्री बने तो 2005 में नबंबर में चुनाव के बाद नीतीश सत्ता पर काबिज हुए।


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