“नहाय-खाय” के साथ चैती छठ का चार दिवयीय अनुष्ठान शुरू, ‘खरना’ आज
के. के. सिंह सेंगर
एकमा (सारण)– सूर्योपासना व छठी माता की पूजा-उपासना का चार दिवसीय लोक महापर्व चैती छठ का अनुष्ठान शनिवार को व्रतियों की ओर से “नहाय-खाय” अपने घरों के अंदर ही करने के साथ शुरू हो गया। हालांकि कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव हेतु लॉकडाउन के चलते भले ही लोग अपने घरों में ही रह रहे हैं। शासन-प्रशासन ने भी लोगों ने अपने घरों में अथवा छतों पर छठ पर्व मनाने की अपील की है। इसी के अनुपालन में इस बार छठ व्रतियों ने घरों के अंदर ही पारंपरिक ढंग से चैती छठ का अनुष्ठान करने व कोरोना से रक्षा हेतु प्रार्थना करने की बात कही है।
एकमा नगर पंचायत बाजार व सहित एकमा व मांझी प्रखंड क्षेत्र के राजापुर, भरहोपुर, आमडाढ़ी, हरपुर, नरहनी, माने, मदनसाठ, दाउदपुर, कोहड़गढ, नचाप, भजौना, सिंगही, टेघरा, नरवन, महम्मदपुर, मुबारकपुर, एकडेंगवा, ताजपुर, गोबरही, साधपुर, शीतलपुर, बरेजा, सरयुपार, गौसपुर, देकुली, गंजपर, खानपुर, भलुंआ बुजुर्ग, राजापुर, हंसराजपुर, रीठ, महुंई, लालपुर, कलान, मटियार, फुलवरिया, डुमाईगढ़, घोरहट, कौरु-धौरु, नवलपुर, डुमरी आदि सहित लगभग सभी गांवों में छठ व्रतियों की ओर से शनिवार को ‘नहाय-खाय’ कर छठ व्रत का संकल्प लिया गया।
इस दौरान छठ व्रतियों ने विशेष रुप से अपने घरों में ही पवित्र स्नान किया। इस दिन व्रतियों ने घर में गंगाजल का छिड़काव कर पवित्रता के साथ सात्विक भोजन ग्रहण किया।
इस बीच ताजपुर फुलवरिया गांव निवासी ज्योतिषाचार्य डॉ. (प्रो.) विवेकानंद तिवारी व रीठ गांव निवासी पं. अवधेश मिश्र ने बताया कि रविवार को छठ व्रती ‘खरना’ का अनुष्ठान करेंगे। सोमवार की शाम को व्रती अस्ताचलगामी सूर्य देव को इस बार अपने घरों अथवा छतों पर ही अनुष्ठान कर पहला अर्घ्य अर्पित करेंगे।
इसी प्रकार मंगलवार की सुबह भी उदीयमान/ उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य देने व व्रतियों की ओर से पारण करने की रस्म अदायगी के साथ इस चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व चैती छठ का समापन होगा।
– लहसुन व प्याज रहित घर में बना भोजन:
शनिवार को छठ व्रतियों के घरों में लहसुन व प्याज रहित लौकी की सब्जी, चने की दाल एवं अरवा चावल का भोजन बनाया गया। छठ व्रत का अनुष्ठान करने वालों ने यही सात्विक आहार ग्रहण किया। इसी के साथ पूरा परिवार भक्ति के वातावरण में डूब गया। इसके साथ ही घरों में महिलाएं पारंपरिक छठ लोक गीत भी गुनगुनाने लगीं।
– मिट्टी के बने नये चूल्हे पर से बनेगा खरना का प्रसाद :
नचाप गांव की महिला छठ व्रती राधिका देवी, गीता देवी, सुमित्रा देवी, कुसुम देवी, प्रमीला देवी आदि ने बताया कि वह 15 वर्षों से छठ व्रत का अनुष्ठान करती आ रही हैं। उन्होंने बताया कि रविवार को मिट्टी के बने नये चूल्हे पर बना खरना का प्रसाद महापर्व का विशेष प्रसाद होगा। इस दिन व्रतियों द्वारा मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से रसियाव (खीर) व रोटी बनायी जाएगी।
गुंजने लगे छठ पूजा के पारंपरिक लोकगीत :
वैसे तो वासंतिक नवरात्र के चलते पहले से ही देवी माता व विभिन्न शक्ति के रुपों की आराधना से जुड़े भजन व आरती से क्षेत्र गुंजायमान हो रहा है। इसी बीच अब प्रखंड मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक छठ व्रत से संबंधित विभिन्न भोजपुरी, हिंदी व अवधी भाषा के पारंपरिक व आधुनिक तर्ज वाले लोकगीत बजते हुए सुनाई देने लगे हैं। शनिवार से ही परिवार में वातावरण छठमय में हो गया है।
छठ के पूजन सामग्रियों को लेकर व्रती चिंतित:
बाजारों में कोरोना से बचाव के लिए लॉकडाउन को लेकर छठ व्रतियों व उनके परिजनों के समक्ष छठ पूजा की पूजन सामग्री की खरीददारी को लेकर चिंता की लकीरें नजर आ रही हैं।


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