मुजफ्फरपुर: निजी अस्पताल व होम आइसोलेशन में कोरोना मरीजों की मौत होने से उनके आश्रितों को मुआवजे के लिए सरकारी दफ्तरों में भटकना पड़ रहा है। कागजी पेच फंसने से इनकी फाइल सीओ कार्यालय से आपदा और स्वास्थ्य विभाग के कार्यालयों का चक्कर काट रही है। इस कारण जून-जुलाई में जिन कोरोना मरीजों की मौत हुई थी, उनके परिजन आजतक मुआवजे के लिए दौड़ रहे हैं। जिला स्वास्थ्य विभाग ने इन मृतकों के नाम अपने आंकड़ों में तो शामिल कर लिया है, लेकिन चार लाख मुआवजा उनके आश्रित को मिलेगा या नहीं, इसपर कोई अधिकारी स्पष्ट नहीं बता रहे हैं। बुधवार को कुछ मृतकों के आश्रितों ने संपर्क कर अपनी परेशानी साझा की। उन्होंने बताया कि अधिकारी अब सीधे मुंह बात तक नहीं कर रहे हैं। वह सिर्फ इतना बता रहे हैं कि उन्होंने फाइल पटना भेज दी है। आश्रितों ने बताया कि उन्हें कहा गया है कि जब पटना से उनके सत्यापन के लिए कहा जाएगा, तब अधिकारी उनका सत्यापन करेंगे। इसके बाद उन्हें आपदा विभाग की ओर से राशि दी जाएगी। अभी सत्यापन के लिए मुख्यालय से निर्देश नहीं आया है।
जिले में 29 मृतकों के आश्रितों को ही मुआवजे की राशि मिली है। स्वास्थ्य मुख्यालय की ओर से 43 मृतकों के आश्रितों को मुआवजा देने के लिए राशि आवंटित की गई है। लेकिन अबतक जिले में 14 मृतकों के आश्रितों का सत्यापन स्वास्थ्य विभाग की ओर नहीं किया गया है। इनके लिए मुआवजा राशि आपदा विभाग के पास है। ज्ञात हो कि जिले में 81 मरीजों की मौत कोरोना से हुई है। केस-1: 26 जुलाई को होम आइसोलेशन में मीनापुर के एक मरीज की मौत हो गई थी। पत्नी बताती है कि वह मुआवजे के लिए संबंधित कार्यालयों में कागजात जमा करा चुकी हैं, लेकिन सात महीने के बाद भी मुआवजा की राशि नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि अधिकारी यह भी नहीं बता रहे हैं कि मुआवजे में कोई कागजात की कमी है या कोई और कारण है। केस-2: कांटी के दामोदपुर के रहने वाले कोरोना मरीज की मौत पटना के एक हॉस्पिटल में हो गई थी। छह महीने से पुत्र मुआवजे के लिए सीओ कार्यालय से आपदा विभाग का चक्कर लगा रहा है, लेकिन उन्हें मुआवजा राशि नहीं मिल रहा है। पुत्र ने बताया कि उन्हें कागजात जमा करने के नाम पर काफी दौड़ाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उनका मूल गांव मड़वन प्रखंड में पड़ता है। सीओ कार्यालय में जो भी कागजात मांगा गया है, सभी जमा करा दिया है।


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