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महंगाई का बढ़ता कहर, गांव-गांव शहर-शहर

नई दिल्ली, (एजेंसी)। कोरोना संकट के बाद नौकरीपेशा से लेकर कारोबारी वर्ग तक की आय प्रभावित हुई तो डीजल-पेट्रोल-एलपीजी में लगी आग ने कोढ़ में खाज का काम कर दिया। महंगाई इतनी बढ़ गई है कि आम आदमी को घर का बजट को मैनेज करना मुश्किल हो गया है। दिल्ली से लेकर पटना तक और पटना से लेकर आगरा तक महंगाई से आम जनता कराह रही है। दिल्ली-एनसीआर में रह रहे लोग एक तरफ जहां पेट्रोल-डीजल और गैस के दामों में इजाफा होने से महंगाई के चलते लोग परेशान हैं तो वहीं दूसरी ओर एक बार फिर सब्जी के दामों ने किचन का बजट बिगाड़ दिया है। दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदबाद और सोनीपत में प्याज समेत कई सब्जियां महंगी हो गई हैं। वहीं, सवार्धिक गाजियाबाद में सबसे अधिक महंगाई चाय पत्ती और गैस सिलेंडर पर है। चाय पत्ती पर इस साल की शुरूआत से अब तक 150 रुपये से लेकर 200 रुपये किलो तक बढ़ोतरी हुई है। एक वर्ष में महंगाई यूं तो प्रत्येक वस्तु पर बढ़ी है, मगर सबसे बड़ी मार महिलाओं की किचेन पर पड़ी है। कोई वस्तु ऐसी नहीं जिसके रेट न बढ़े हों। हालांकि घरेलु और व्यावसायिक गैस सिलिंडर एक साल के मुकाबले पिछले एक माह में ज्यादा महंगा हुआ है। खाद्य तेलों ने जहां महंगाई दर में देशी घी को भी पीछे छोड़ दिया है तो दालों ने घरों का बजट बिगाड़ दिया है।

लखनऊ में पिछले सवा महीने में सरसों का तेल 15 रुपये, वनस्पति घी 12 रुपये और सोयाबीन रिफाइंड तीन रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है। एक जनवरी को वनस्पति घी 110 रुपये प्रतिकिलो था। वर्तमान में दाम बढ़कर 122 रुपये प्रतिकिलो हो गया है। इसके अलावा सरसो का तेल 150 रुपये से बढ़कर 165 रुपये प्रतिलीटर हो गया है। सोयाबीन रिफाइंड भी 135 रुपये प्रतिलीटर से बढ़कर 138 रुपये प्रतिलीटर हो गया है। वाराणसी समेत पूर्वांचल के दस जिलों में पिछले 50 दिनों में जहां खाद्य सामग्री में औसतन 5 से 10 फीसदी की वृद्धि हुई है तो वहीं दैनिक उपयोग की वस्तुओं में कुछ खास अंतर नहीं आया है। लेकिन निर्माण सामग्री के दाम 15 फीसद तक बढ़ गए हैं। पेट्रो पदार्थ में भारी वृद्धि हुई है। मालभाड़े में कुछ जिलों में 10 फीसद तक बढ़ोतरी हुई है। प्राइवेट बस संचालकों ने अभी किराया नहीं बढ़ाया है, लेकिन उनमें सुगबुगाहट है। वाराणसी में अरहर दाल 15 फीसदी महंगी हो गई है। सरसों तेल में भी 15 रुपये का उछाल आया है।

लगातार बढ़ती महंगाई आम आदमी का बजट बिगाड़ रहा है। डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ने का असर खाद्यान्नों पर दिखने लगा है। नमक से लेकर तेल तक महंगा हो गया है। इसका असर लोगों के रहन-सहन से लेकर खानपान तक पड़ने लगा है। बाजार से जुड़े जानकारों की मानें तो बीते तीन महीने में आम आदमी की जरूरत के ज्यादातर सामानों की कीमतों में तीन से बारह फीसद तक की बढ़ोतरी हो गई है। मालभाड़ा बढ़ने से ज्यादातर सामान महंगे हो गए हैं।
गैस के दाम बढ़ने का असर होटलों पर दिखने लगा है। घरेलू गैस की कीमत बीते तीन महीने में 125 रुपये और व्यावसायिक गैस की कीमतों में 291 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है। घरेलू गैस पर मिलने वाले सब्सिडी में कमी व घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत में बढ़ोतरी का असर जहां लोगों की कीचन बजट पर पड़ा है वहीं, व्यवसायिक गैस सिलेंडर में बढ़ोतरी से रोड साइड रेस्टोरेंटों और होटलों पर आर्थिक दबाव बढ़ गया है। होटल संचालक अजय झा कहते हैं कि लगातार व्यावसायिक गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ने से होटलों का मुनाफा कम होता जा रहा है। इससे दाम बढ़ाना मजबूरी है।

इसी तरह चावल और दाल की कीमतों में भी बीते तीन महीने में इजाफा हुआ है। दिसंबर 2020 में बिकने बिकने वाले पैक्ड बासमती चावल की कीमत 93 रुपये प्रतिकिलो से बढ़कर फरवरी 2021 में 115 रुपये प्रतिकिलो हो गयी है। बेउर के किराना दुकानदार मंटू कुमार कहते हैं कि सेवन स्टार हाफ बॉयल चावल 28 रुपये से बढ़कर 35 रुपये किलो, सृष्टि हॉफ बॉयल चावल की कीमत 30 रुपये किलो से बढ़कर 33 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गई।

मूंग दाल की कीमत 90 रुपये से बढ़कर 115 से 120 रुपये के बीच हो गई है। इसके अलावा सोयाबीन की कीमत भी 90 रुपये से बढ़कर 100 रुपये किलो तक पहुंच गई है। दाल व्यवसायी नवीन कुमार कहते हैं कि बिहार के बाहर से आने वाले दालों की कीमत में इजाफा हो गया है। बच्चों का पसंदीदा चॉकलेट और बिस्कुट के कुछ ब्रांडों की कीमतें साढ़े 12 से 25 फीसद तक की बढ़ोतरी हो गई है। कई सामानों की कीमत नहीं घटायी गई बल्कि उसके बजन कम कर दिए गए। जैसे ग्लूकोज डी पहले सौ ग्राम के साथ पचास ग्राम फ्री मिलता था। उतने ही कीमत पर अब यह उत्पाद 75 ग्राम पर 50 ग्राम फ्री दिया जा रहा है।
झारखंड में पेट्रोलियम उत्पाद समेत खाद्यान्न की कीमतों में बढ़ोतरी की मार आमजन पर पड़ रही है। डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस सिलिंडर, सीमेंट, इस्पात, खाद्यान्न और खाद्य तेल की कीमत बढ़ने से दैनिक और जरूरी सामान की कीमत 20 से 30 फीसद तक बढ़ गयी है। वहीं सीमेंट और स्टील की कीमत बढ़ने से भवन निर्माण भी महंगा हो गया है। रसोई तैयार करने में प्रयुक्त सरसो तेल की कीमत में 30 रुपए, रिफाइंड आॅयल की कीमत में 20 रुपए प्रति लीटर, चावल और दाल में तीन से सात रुपए तक प्रति किग्रा की बढ़ोतरी डेढ़ माह के अंदर हुई है।

बिल्डर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया की प्रदेश कमेटी से संबद्ध चंद्रकांत रायपत के मुताबिक सीमेंट और स्टील की बढ़ी कीमतों से भवन निर्माण 20 फीसद महंगा हो गया है। झारखंड फेडरेशन चैंबर आॅफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा के मुताबिक ट्रांसपोर्टेशन पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों का प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ने से वस्तुओं की ढुलाई महंगी हो रही हैं। इससे अनाज, सब्जी और खाद्य सामग्री समेत अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति महंगी होगी।
उत्तराखंड में महंगाई की मार ने आम आदमी को झकझोर कर रख दिया है। खासकर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी ने सभी खाद्य पदार्थों के दाम 30 से 40 फीसदी तक बढ़ा दिए हैं। चाय, नमक, तेल, दालें समेत सभी खाद्य पदार्थों के दामों में तेजी आयी है। इंडिया इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राकेश भाटिया कहते हैं कि, पेट्रोलियम आधारित कच्चे माल जैसे मोबिल आॅयल, प्लास्टिक दाना, डिब्बे, कंटेनर, पॉलिएस्टर की कीमतें 40 फीसदी तक बढ़ी हैं। इसका सीधा असर इलेक्ट्रानिक सामान, जूते, कपड़ों पर पड़ रहा है। साथ ही पैकेजिंग पहले से 15 फीसदी महंगी हो गई है।