नई दिल्ली, (एजेंसी)। तेल की बढ़ी हुई कीमतों से लोग परेशान हैं। जिसके कारण हमेशा से ही यह मांग उठ रही है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए इसे भी जीएसटी के दायरे में लाया जाए। वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस पूरे मसले पर कहा कि अगर कोई प्रस्ताव आता है तो सरकार इस पर जरूर चर्चा करेगी।
टाइम्स नॉऊ को दिए इंटरव्यू में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “पेट्रोल-डीजल पर टैक्स में केंद्र व राज्य दोनों ही हिस्सेदार हैं। जहां तक इसे जीएसटी के दायरे में लाने की बात है तो अभी जीएसटी काउंसिल में इसे लेकर कोई मामला लम्बित नहीं है…मगर आने वाली जीएसटी काउंसिल बैठक में अगर राज्य इस पर चर्चा करना चाहें तो हम खुले मन से इसका स्वागत करेंगे” इससे पहले वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी जीएसटी काउंसिल में इसको चर्चा करने की बात कही थी।
जीएसटी की उच्च दर पर भी पेट्रोल-डीजल को रखा जाए तो मौजूदा कीमतें घटकर आधी रह सकती हैं। यदि जीएसटी परिषद ने कम स्लैब का विकल्प चुना, तो कीमतों में कमी आ सकती है। अगर पेट्रोल को 5 फीसद जीएसटी वाले स्लैब में रखा जाए तो यह पूरे देश में 37.57 रुपये लीटर हो जाएगा और डीजल का रेट घटकर 38.03 रुपये रह जाएगा। अगर 12 फीसद स्लैब में ईंधन को रखा गया तो पेट्रोल की कीमत होगी 40 फीसद और डीजल मिलेगा 40.56 रुपये। अगर 18 फीसद जीएसटी वाले स्लैब में पेट्रोल आया तो कीमत होगी 42.22 रुपये और डीजल होगा 42.73 रुपये। वहीं अगर 28 फीसद वाले स्लैब में ईंधन को रखा गया तो पेट्रोल 45.79 रुपये रह जाएगा और डीजल होगा 46.36 रुपये।
राज्य पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को तैयार नहीं हैं। 1 जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू किया गया था। उस समय राज्यों की उच्च निर्भरता के कारण पेट्रोल और डीजल को इससे बाहर रखा गया था। जीएसटी में पेट्रोलियम उत्पादों को शामिल किया जाता है, तो देश भर में ईंधन की एक समान कीमत होगी।


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