नई दिल्ली: पूर्व छात्र अब विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम व कोर्स डिजाइन से लेकर नीति सुधार में भी सहयोग देंगे। सरकार ने पूर्व छात्रों को उनके विश्वविद्यालयों, संस्थानों व कॉलेजों से दोबारा जोड़ने के लिए पहले स्टूडेंट करियर प्रोग्रेशन एंड एल्यूमनाई नेटवर्क पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। पूर्व छात्रों को विश्वविद्यालयों की गवर्निंग बॉडी में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा केंद्रीय, डीम्ड, स्टेट यूनविर्सिटी में एंड्रामेंट योजना भी मंजूरी हो गई है। पूर्व छात्र इस योजना के तहत अपनी आय का एक फीसदी अपने विश्वविद्यालय को सहयोग में दे सकते हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, पहली स्टूडेंट करियर प्रोग्रेशन एंड एल्यूमनाई नेटवर्क पोलिसी तैयार की गयी है। इसमें पूर्व छात्र पैसे से मदद करेंगे। इसके अलावा उनके आइडिया से प्लेसमेंट, पाठ्यक्रम, परीक्षा से लेकर अन्य नीतियों में सुधार होगा। मंत्रालय के निर्देश पर पहली पॉलिसी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने तैयार की है।
किसी भी संस्थान को आगे बढ़ाने में पूर्व छात्रों का बहुत बड़ा योगदान होता है। आईआईटी व आईआईएम में पूर्व छात्र संस्थान को आगे बढ़ाने में बेहद योगदान करते हैं।ऐसे ही आइडिया को विश्वविद्यालयों में लागू किया जा रहा है। इसका मकसद पूर्व छात्रों से पैसा लेना ही नहीं है बल्कि उनके आइडिया को संस्थान के उत्थान व प्लेसमेंट में प्रयोग करना है। पुराने छात्र अपने अनुभवों के आधार पर स्नातक छात्रों को आगे बढ़ने में मदद करेंगे।
पूर्व छात्रों को आयकर से भी छूट मिलेगी
पूर्व छात्र अपनी कुल आय में से एक फीसदी अपने संस्थान को सहयोग के रूप में दे सकता है। पैसे से मदद करने वाले सदस्यों को गवर्निंग बॉडी में शामिल किया जाएगा। ऐसे सदस्य गवर्निंग बॉडी की बैठक में भी शामिल होंगे। पूर्व छात्रों से मिलने वाला पैसा छात्रों की विभिन्न योजनाओं समेत इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगाया जाएगा। यदि पूर्व छात्र नियमों को पूरा करते होंगे तो वे शिक्षण कार्यों में भी सहयोग कर सकते हैं। संस्थान को मिलने वाले फंड पर पूर्व छात्रों को आयकर से भी छूट मिलेगी।
वार्षिक व दीक्षांत समारोह में सम्मान
नीति के तहत संस्थान के उत्थान में सहयोग देने वाले पूर्व छात्रों को सम्मानित भी किया जाएगा। वार्षिकोत्सव, दीक्षांत समारोह जैसे कार्यक्रमों में उन्हें आम छात्रों से रूबरू करवाते हुए अवार्ड भी मिलेंगे। ऐसे कार्यक्रमों में नेता या अधिकारी को बुलाने की बजाय पूर्व छात्रों को मुख्य अतिथि बनाने की भी योजना है। इसका मकसद वर्तमान और पूर्व छात्रों में संवाद कायम करना है। वह स्नातक की पढ़ाई करने वाले छात्रों को नौकरी, पढ़ाई आदि में राय दे सकते हैं।


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