जी हाँ! काली की करालता का अनुमान है, चीन को
- गजराज के साथ अब नृत्य की पेशकश, रण सिंहों से सहम,या वहम?
राणा परमार अखिलेश। छपरा (बिहार)
अराष्ट्रवादियों व स्वयंभू सेक्युलरिस्टों ,लिबरलो की अभिव्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों की आड़ में अबतक के तकरार में करीबन 3500 वर्ग किलोमीटर भारतीय भू भाग पर अधिकार के आगे विस्तार यह विचार त्याग अब गजराज व ड्रैगन के साथ भाव नृत्य की चीनी पेशकश अचानक अचंभित करने वाला है। ‘नेपाल जहाँ थे’ वहाँ चला गया, पाकिस्तान का इस्लामिकफोबिया ही सत्ता का हथियार है मगर उसके आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के ‘सरेंडर’ शब्द का अर्थ समझा जा सकता है । बहरहाल, कैरोना, चीन, पाकिस्तान व नेपाल चार की चुनौती स्वीकार करने वाले भारत की शक्ति “काली” की करालता तो नहीं?
जी हाँ काली की करालता का अनुमान है ड्रैगन को, सिंह वाहिनी की संहारक क्षमता से सहमा चीन भारत के नर सिंहों व रण बाघों के पंजों से परिचित है। तभी तो अबतक गोलियों से बचते हुए गीदड़ भभकी दे रहा था ।
हाँ मैं अदृश्य “काली” की चर्चा कर रहा था। ‘ काली’ संक्षिप्त रोमन वर्णमाला का आंग्ल भाषा विस्तार ” किलो एम्पियर लाइनर लिनर इंजेक्टर ” है । जो धनुर्वेद का आधुनिक शोध है। बहरहाल, धनुर्वेद के अंगों, उप अंगो की चर्चा के विस्तार विषय नहीं है।
‘काली’ लेजर हथियार है। लेजर शब्द संक्षिप्त रोमन वर्णमाला का आंग्ल विस्तार ” लाइट एम्पलिफिकेशन बाई स्टुम्यूलेटेड ऑफ रेडिएशन ” है ।जिसका हिन्दी अनुवाद ‘ विकिरण के उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा प्रकाश का प्रवर्धन है। यह एक ऐसा चुम्बकीय विकिरण है,जो प्रेरित उत्सर्जन की प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न होकर अदृश्य तरंगों से शत्रुओं के युद्धक विमानों, राकेट्स, मिसाइलों, अंतरिक्ष में तैर रहे उपग्रहों को पलभर में जलाकर खाक में मिला देगा । और वह क्षमता भारत ने हासिल कर ली है।
इस परियोजना के प्रथम जनक भाभा आण्विक अनुसंधान केन्द्र(बीएआरसी) के अध्यक्ष व भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार डाक्टर आर चिदंबरम व पीएन रोन हैं । फिर रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ ‘ डिफेंस एप्लिकेशन क्लीयर लेजर’ पर शोध जारी रहा । 0-4 जीडब्लू से विकसित होते हुए काली 80 ,काली 200, काली 5,000 और अब काली 10,000 परीक्षण के लिए तैयार है। काली 5,000 का सफल परीक्षण मूर्धन्य वैज्ञानिक व आण्विक शक्ति के उद्गाता डाॅक्टर होमी जहांगीर भाभा के 95 वें जन्मदिवस पर किया गया ।
कहना न होगा कि हमारे पूर्वजों ने इसका विकास वैदिक काल में ही कर लिया था। मंत्र शक्ति के बाद यंत्र शक्ति युग में इसके अविष्कार यूरोपीय विज्ञानी ‘थिओर डोर मैनेन’ को माना जाता है। उन्होंने मणिक्य (रूबी) को कैमरे के लेंस के ऊपर रखा और लाल किरणें निकलीं जो एक रेजर ब्लेड में छेद कर सकती थी । भौतिक शास्त्री ‘जिलेट’ मापक इकाई से मापते हैं। 1957 में ‘ बेल प्रयोगशाला ‘ में ‘प्रकाशीय मसेर’ पर चार्ल्स हाई टाउंस व आर्थर लियोनार्डो ने शोध किया । कोलंबिया विश्वविद्यालय के एक शोधार्थी ने डाॅक्टरेट के लिए थैलियम के ऊर्जा स्तरों पर शोध किया और 19 नवंबर 1957 को लेजर शब्द प्रयोग में आया। जिस प्रकार आण्विक ऊर्जा का लोक कल्याणकारी प्रयोग व बम(डिवाइज) में होता है ठीक उसी प्रकार लेजर आयुर्विज्ञान, दंत, नेत्र, शारीरिक शल्य-चिकित्सा, संचार अस्पतालों, सुपर मार्केट मनोरंजन जगत में डीवीडी में होता है।सैन्य क्षेत्र में वायु यानों को दिशा-निर्देश, तोपों व बंदूकों लाॅक करने में इसकी भूमिका अहम है। दो दशक पूर्व अमरीका नौ सेना एक हाई लेजर हथियार का परीक्षण प्रशांत महासागर में किया था। वेपन सिस्टम ऑफिस लेफ्टिनेंट केलह्यूज ने बताया कि किसी भी चीज पर भारी मात्रा में ‘फोटाॅन ‘ डालते ही वह चीज जल जाती है । आण्विक अस्त्र वाहक विमान या या पनडुब्बियों जलने के साथ ही विस्फोट करती हैं और सबकुछ खाक में मिला देता है। भारतीय परीक्षण एक ट्रक पर हुआ 1 केजी वाट व केवी गन ने 250 मीटर दूर ट्रक को जलाकर खाक में मिला दिया । बहरहाल, हवा व रेंज पर प्रभाव शून्य लेजर हथियार की शर्त है टारगेट सेटिंग के साथ काम तमाम । अभी अमरीका परीक्षण के लिए तैयारी कर रहा है । भारत काली 5,000 का परीक्षण कर चुका है ,काली 10,000 का परीक्षण शेष है। पूर्व रक्षा मंत्री स्वर्गीय मनोहर पारिकर ने सिर्फ इतना ही सदन को बताया था कि काम चल रहा है।


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