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राज्य के 16 जिलों में बिचड़े के अभाव में धान की रोपनी ठप

पटना: महाकवि घाघ की इस कहावत का मतलब है कि आर्द्रा नक्षत्र में रोपनी से धान की पैदावार अच्छी होती है। पुनर्वसु नक्षत्र में रोपनी करने से पत्ता अधिक होता है और दाने कम लगते हैं। लेकिन, चिरैया अर्थात पुष्य नक्षत्र में रोपनी करने से पैदावार बहुत कम होती है। घाघ की इस कहावत को वैज्ञानिक भी मानते हैं। लेकिन, दो दिन बाद आर्द्रा खत्म होने को है पर पटना, भोजपुर, रोहतास, अरवल, नवादा, औरंगाबाद और सारण समेत लगभग 16 जिलों में रोपनी शुरू भी नहीं हुई। कई इलाकों में बिचड़ा सड़ जाने के कारण किसानों को इसे दोबारा लगाना पड़ा है। ऐसे में खरीफ की खेती में इस साल लगभग सवा करोड़ टन धान उत्पादन का लक्ष्य पाना कठिन हो सकता है।

कृषि सचिव डॉ. एन सरवण कुमार ने बीज वितरण के समय निर्देश दिया था कि रोपनी अलग-अलग समय ठीक नहीं है। अधिकारी वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गये समय पर ही एक साथ खेती की शुरूआत करने को किसानों को प्रेरित करें। लेकिन प्रकृति के सामने किसी की एक नहीं चल रही है। उत्तर बिहार के सबसे अधिक किसान आर्द्रा नक्षत्र में रोपनी करते हैं। रोहिणी नक्षत्र तक उनका बिचड़ा डालने का काम पूरा हो जाता है। लेकिन बाढ़ ने उन किसानों को भी इस साल काफी पीछे कर दिया है। लिहाजा गत वर्ष इस समय तक लगभग साढ़े पांच लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी हो गई थी। इस साल अब तक मात्र डेढ़ लाख हेक्टेयर के आसपास ही हम पहुंच पाये हैं। मक्का की खेती भी पिछले साल से लगभग सवा लाख हेक्टेयर पीछे है।

मानसून समय पर आया तो किसानों में काफी खुशी हुई। लेकिन वर्षा इतनी अधिक हो गई कि उनकी खुशी ज्यादा दिन टिक नहीं पाई। उत्तर बिहार के इलाके में बिचड़ा सड़ गया। उन्हें दोबारा लगाना पड़ा। रोहतास और भोजपुर के कुछ इलाके जहां के किसान रोहिणी नक्षत्र में बिचड़ा डालते हैं, वहां यही परेशानी हुई। चम्पारण और गोपालगंज के किसान भी इस साल पिछड़ गये : अधिक वर्षा के कारण नवादा, वैशाली, समस्तीपुर, मुंगेर, शेखपुरा और खगड़िया जिलों में बिचड़ा डालने का ही काम अभी 20 प्रतिशत से कम हुआ है। इसके अलावा बेगूसराय, लखीसराय और बांका आदि जिलों में यह काम लगभग आधा ही हो पाया है। रोपनी का हाल यह है कि सबसे पहले रोपनी करने वाले चम्पारण और गोपालगंज के किसान भी इस साल पिछड़ गये हैं। पूर्वी चम्पारण में 12 तो पश्चिमी चम्पारण और गोपालगंज में 14 प्रतिशत ही रोपनी हो पाई है। शिवहर, जमुई और किशनगंज जैसे जिलों में रोपनी शुरू होने के बाद एक सप्ताह में कोई प्रगति नहीं हुई है। पटना, भोजपुर, रोहतास, अरवल, नवादा, औरंगाबाद और सारण समेत लगभग 16 जिलों में रोपनी शुरू भी नहीं हुई। हालांकि इनमें अधिसंख्य जिले में बिचड़ा डालने का काम देर से होता है। बावजूद आर्द्रा में रोपनी शुरू हो जाता है।

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