राष्ट्रनायक न्यूज। कोरोना वायरस ने न सिर्फ अनेक लोगों को असमय मारा है, बल्कि बहुत से लोगों को ज्यादा कर्ज लेने पर भी मजबूर किया है। कोरोना के चलते करोड़ों की संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं। स्वरोजगार करने वालों का भी कारोबार चौपट हो गया है। जो कारोबार कर रहे हैं या निजी क्षेत्र में नौकरी कर रहे हैं, उनकी आय में भारी कमी आई है। एक तरफ महामारी की वजह से आमजन का जीना दुभर हो गया है, तो महंगाई ने उसकी आर्थिक मुश्किलें बढ़ाई हैं। स्वास्थ्य के मद में खर्च बढ़ गया है। कोरोना की डर की वजह से बड़ी संख्या में लोग स्वास्थ बीमा करवा रहे हैं।
आय में कमी आने के कारण महज एक साल के अंदर प्रति व्यक्ति कर्ज का बोझ 34 हजार रुपये (2019-20) से बढ़कर 52 हजार रुपये (2020-21) हो गया है। कर्ज को अगर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के संदर्भ में देखें, तो वित्त वर्ष 2020-21 में घरेलू कर्ज बढ़कर जीडीपी का 37.3 प्रतिशत हो गया, जो वित्त वर्ष 2019-20 में 32.5 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश किए गए बजट के अनुसार देश की जीडीपी 194.81 लाख करोड़ रुपये की थी, जिसमें घरेलू कर्ज का हिस्सा लगभग 72.66 लाख करोड़ रुपये था। भारत की अनुमानित जनसंख्या लगभग 139 करोड़ है। अगर कुल आबादी से कुल घरेलू कर्ज को भाग दें, तो प्रति व्यक्ति कर्ज औसतन 52.12 हजार रुपये होगा। इस प्रणाली से गणना करने से पता चलता है कि विगत चार वर्षों में प्रति व्यक्ति कर्ज में 78 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
एक जुलाई, 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया गया था। कर की इस नई प्रणाली को आनन-फानन में लागू करने से बहुत सारे कारोबारियों को नुकसान हुआ। अनेक कारोबारियों को जीवनयापन के लिए कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ा और इस क्रम में कुछ कारोबारी कर्ज के दुश्चक्र में भी फंस गए। जीएसटी लागू करते समय बेरोजगारी दर 3.4 प्रतिशत और खुदरा महंगाई दर 2.41 प्रतिशत थी। बेरोजगारी दर मार्च, 2020 में बढ़कर 8.8 प्रतिशत और जून, 2021 में 9.17 प्रतिशत हो गई, जबकि खुदरा महंगाई दर जून, 2021 में बढ़कर 5.52 प्रतिशत हो गई। थोक महंगाई दर मार्च, 2020 में एक प्रतिशत थी, जो मुख्य रूप से कोरोना की वजह से और और कुछ अन्य कारणों से जून, 2021 में बढ़कर 7.39 प्रतिशत हो गई।
इन आंकड़ों से साफ हो जाता है कि विगत चार वर्षों में बेरोजगारी और महंगाई दर, दोनों में इजाफा हुआ है। वैसे, विश्व में भारत अकेला देश नहीं है, जहां प्रति व्यक्ति कर्ज में इजाफा हुआ है। बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और जापान में घरेलू कर्ज का जीडीपी में हिस्सा भारत से भी ज्यादा है। कोरिया में घरेलू कर्ज 103.8 प्रतिशत है। दूसरे स्थान पर हांगकांग है, जहां घरेलू कर्ज 91.2 प्रतिशत है। तीसरे स्थान पर ब्रिटेन है, जहां घरेलू कर्ज 90.0 प्रतिशत है। चीन में भी घरेलू कर्ज 61.7 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका में घरेलू कर्ज 79.5 प्रतिशत है।
भारत में कोरोना महामारी अभी खत्म नहीं हुई है। कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ‘डेल्टा’ पूर्व के कोरोना वैरिएंट से ज्यादा खतरनाक है। इस वैरिएंट की वजह से आगामी अगस्त में तीसरी लहर के भारत में आने की आशंका जताई जा रही है और इसके सितंबर महीने में शीर्ष पर पहुंचने की आशंका है। बेशक टीकाकरण अभियान में तेजी आई है, लेकिन कोविन की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, नौ जुलाई, 2021 तक 29 करोड़ 71 लाख, पचास हजार नौ सौ सत्तर लोगों को टीके की पहली खुराक और छह करोड़, 98 लाख पच्चासी हजार नौ सौ चौंतीस लोगों को टीके की दोनों खुराक लग चुकी थी। देश की आबादी के लिहाज से यह संख्या संतोषजनक नहीं है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में टीकाकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए इसकी प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत है। कोरोना महामारी कब खत्म होगी, इसके बारे में फिलहाल कोई भी भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। टीका ही हमें कोरोना से बचा सकता है और आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी ला सकता है।
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