बिहार विधान मंडल एससी-एसटी आरक्षण बचाव मोर्चा में दो फांड़, बीजेपी, जदयू, कांग्रेस, हम के सदस्यों ने एक साथ की बैठक, आरजेडी ने मोर्चा से अलग होकर की बैठक
पटना। बिहारा में अनुसूचित जाति-जनजाति समुदाये के निर्वाचित विधान सभा के सदस्यों को एक कर दलित राजनीति की दशा-दिशा तय करने को लेकर राजनीतिक मंथन चल रहा था। बिहार के अलग-अलग नेताओं के आवास पर या अन्य स्थानों पर बैठक किया जा रहा था। लेकिन कई नेताओं के रास नहीं आ रहा है। ऐसे में दलित विधान मंडल के सदस्यों में आज दो फांड हो गई। बीजेपी, कांग्रेस,जेडीयू और हम के दलित विधायकों की शुक्रवार को कांग्रेस विधायक अशोक राम के आवास पर बैठक हुई। इस बैठक में आरजेडी का कोई भी दलित विधायक शामिल नहीं हुआ। वही दूसरी ओर आरजेडी के दलित विधायकां ने मोर्चा से अलग होकर आरजेडी कार्यालय में अपनी एक अलग बैठक की। इस फूट का बीजारोपण मोर्चे के पिछली ही बैठक में हो गई थी जब पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के आवास पर बिहार विधानमंडल अनुसूचित जाति जनजाति आरक्षण बचाव मोर्चा की बैठक हुई थी, जिसमें आरजेडी का कोई भी सदस्य शामिल नहीं हुआ था। बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर आरजेडी ने दावा किया था कि अब दलित की बात आरजेडी के ही मंच से होगी, जो भी विधायक आरजेडी के साथ आना चाहते है। आ जाएं दलित की बात अब आरजेडी अपने मंच से करेगी। इसके बाद से ही ये स्पष्ट हो गया था कि दलित एकता को लेकर जो सर्वदलीय मोर्चा बनाया गया था वो अब टूट चुका है।
आरक्षण कु मुद्दे पर राज्यपाल से मुलाकात करेगा मोर्चा
अशोक राम के आवास पर हुई बैठक में ये फैसला हुआ कि मोर्चा आरक्षण को लेकर जल्द ही बिहार के राज्यपाल से मुलाकात करेगा। जुलाई के अंत में दलित विधायकों का एक सम्मेलन दिल्ली में होगा जिसमें देशभर के दलित विधायक शामिल होंगे। बैठक में बिहार सरकार में मंत्री और जेडीयू विधायक श्याम रजक ने सुप्रीम कोर्ट के गुरूवार को आये फैसले पर नाराजगी जताई जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को मौलिक अधिकार नहीं बताया था। श्याम रजक ने इस फैसले को दलितों के दुखद बताया। वही दूसरी ओर आरजेडी विधायकों ने बैठक कर दलितों को लेकर सड़क पर आंदोलन करने की बात कही।


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