ढाई दशक के लंबे संघर्ष के बाद बिहार की राजनिति में सशक्त पहचान बनाई है ओम कुमार सिंह ने
पटना। महज 25 वर्ष की अल्पायु में ही अधिवक्ता सघ सोनपुर अनुमंडल न्यायालय के अध्यक्ष बनने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सह सोनपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के भावी प्रत्याशी ओम कुमार सिंह किसी परिचय पहचान के मोहताज नहीं है. ये महज 25 वर्ष की अल्पायु में ही इस प्रतिष्ठित पद तक पहुंचने वाले एकमात्र सदस्य हैं. इसके लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी इनके नाम को भेजने की तैयारी चल रही है. बिहार के तत्कालीन विधि मंत्री के द्वारा इन्हें गोल्ड मेडल सभी सम्मानित किया गया. सोनपुर के चर्चित समाजसेवी लगन देव सिंह उर्फ राजा बाबू के पुत्र ओम कुमार सिंह के परिवार का सामाजिक गतिविधियों में सोनपुर ही नहीं पूरे सारण प्रमंडल और बिहार में एक अलग स्थान रहा है. सोनपुर मेले के इतिहास के साथ इनके परिवार का इतिहास जुड़ा हुआ है, ओम कुमार सिंह ने 1995 में नीतीश कुमार के कहने पर समता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर सोनपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन भी किया था. परंतु बाद में राजनीतिक कारणों से उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया. बिहार के 4 मुख्यमंत्रियों और देश के एक प्रधानमंत्री के साथ भी इन्हे काम करने का मौका मिला. प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय चंद्रशेखर जी बिहार के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय राम सुंदर दास, स्वर्गीय डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी व नीतीश कुमार के साथ ही उन्होंने लंबा राजनीतिक यात्रा की है. पहलेजा दीघा रेल पुल बनाओ समिति के अध्यक्ष रहे ओम कुमार सिंह सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सदैव सक्रिय रहे. छात्र जीवन में यह छात्र नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हुए थे, बाद के दौर में यह राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय रहे. समता पार्टी व जदयू के गठन में हम सदस्य रहे. साथ ही साथ समाजवादियों के गुट के प्रखर सदस्य भी रहे. ओम कुमार सिंह ने कभी भी पद की लालसा में राजनीति नहीं की. देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर के काफी करीबी थे. उनके साथ कई कार्यक्रमों में शिरकत की और साथ ही साथ सारण प्रमंडल और सोनपुर इलाके के लोगों के कल्याण के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किए. एक अधिवक्ता के तौर पर क्षेत्र के कमजोर तबकों के हक के लिए सदैव जहां खड़े रहे. वहीं उनके दरवाजे जरूरतमंदों की सहायता के लिए भी सदैव खुले रहे. राजनीतिक गतिविधियों में इन्होंने कभी भी विधायक या सांसद बनने की लालसा नहीं रखी. निस्वार्थ भावना से जिस दल में रहे, उसकी सेवा करते रहे. इनके घर पर बिहार के चार-चार मुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री के साथ देश के सभी प्रमुख दलों के राजनेताओं का आना-जाना लगा रहता है.


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