राज्य में संविदा पर कार्यरत कर्मी नहीं माने जाएंगे सरकारी सेवक, एक माह की नोटिस या मानदेय देकर खत्म की जा सकेगी नौकरी
पटना। बिहार में रोजगार के मुद्दे पर गरमाई राजनीति के बीच नीतीश सरकार का बड़ा फैसला सामने आया है। इसके तहत राज्य में संविदा पर बहाल कर्मी सरकारी सेवक नहीं माने जाएंगे। एक माह की पूर्व सूचना या एक माह का मानदेय देकर इनका कॉन्ट्रैक्ट समाप्त किया जा सकता है। मिली जानकारी के अनुसार सरकार अब अब स्वीकृत पदों पर ही कॉन्ट्रैक्ट पर बहाली कर पाएगी। वहीं, यह जानकारी भी सामने आई है कि संविदाकर्मियों को नियमित नौकरी के लिए वेटेज दिए जाएंगे।
अब तक जो जानकारी सामने आई है इसके अनुसार पदों की नियुक्ति में अगर विलंब हो रहा है तो वैसी स्थिति में संविदा के आधार पर बहाली होगी। यह तबतक के लिए ही होगी जबतक की नियमित नियुक्ति नहीं हो जाती। ये सभी संविदा पर बहाल होने वाले लोग सरकारीकर्मी नहीं माने जाएंगे। हालांकि स्थायी पदों की बहाली इन्हें वेटेज दिया जाएगा। इसके अनुसार प्रत्येक वर्ष संतोषजनक सेवा के लिए 5 अंक वेटेज मिलेगा। जबकि प्रत्येक 5 वर्षों में 25 अंक वेटेज दिए जाएंगे।
सामान्य प्रशासन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार नई नियमावली के तहत पहले से कार्यरत संविदाकर्मियों का इकरारनामा तैयार हो चुका है। हालांकि खबर यह भी है कि कुछ विभागों में कार्यरत कर्मियों का एक साल के लिए कार्यकाल बढ़ाया जाएगा। जबकि ज्यादातर विभागों में कर्मियों के सेवा विस्तार रोक लगाई गई है। सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार योजनाओं, परियोजनाओं, निगमों और सोसाइटी में तत्काल बहाली होगी। नियमित पदों पर एक साल के लिए संविदाकर्मियों की बहाली होगी। जिन खाली पड़े पदों पर स्थायी नियुक्ति नहीं हो रही वहां संविदा पर बहाली की जाएगी। इसमें आरक्षण रोस्टर का भी पालन किया जाएगा। ये फैसला सामान्य प्रशासन विभाग ने लिया है। बता दें कि वर्तमान में राज्य में सभी विभागों में लगभग 11 लाख संविदाकर्मी कार्यरत हैं।
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