पटना। शिक्षा विभाग के कार्यालयों पर कोरोना संक्रमण का असर साफ-साफ दिखने लगा है। राज्य मुख्यालय से लेकर सभी निदेशालय, सभी कार्यालय और सभी क्षेत्रीय तथा जिला शिक्षा कार्यालयों में इसके संक्रमण का खौफ साफ-साफ देखा जा रहा है। कई दफ्तर तो सामूहिक संक्रमण रोकने के मकसद से कुछेक दिन बंद भी रहे हैं। पटना के जिला शिक्षा कार्यालय को ही काफी संख्या में लोगों के संक्रमित होने के बाद बंद करना पड़ा है।
कोरोना संक्रमण के पहले चरण में भी शिक्षा विभाग के कई अधिकारी, कर्मी इसकी चपेट में आए थे लेकिन तब ऐसा डर का माहौल नहीं था। हालांकि समस्तीपुर के तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी की मौत 2020 में कोरोना संक्रमण की वजह से हुई थी। इसबार नालंदा के जिला शिक्षा पदाधिकारी मनोज कुमार को रविवार को कोरोना लील गया। इसके बाद विभागीय लोगों में और डर समा गया है। एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, आदेश है तो आना ही है। कोरोना के खौफ का हाल यह है कि 33 फीसदी उपस्थिति के कार्यालयी आदेश को लेकर दफ्तरों में अधिकारी व कर्मी आ तो रहे हैं लेकिन वे कामकाज पर खुद को बहुत केन्द्रित नहीं कर पा रहे। कइयों ने सोमवार को कहा भी-देखिए, जान है तो जहान है। बात शिक्षा विभाग के मुख्यालय की करें तो सभी निदेशालयों में दो-चार लोग (अफसर या कर्मी) या तो खुद संक्रमित हैं अथवा उनके परिवार में कोई न कोई संक्रमित। हालांकि ऐसे लोग दफ्तर नहीं आ रहे, बावजूद इसके जो आ रहे हैं वे याद करते हैं कि जो संक्रमित हुए हैं उनसे आखिरी बार वे कब मिले थे। कितने नजदीक से बातचीत की थी।
जनशिक्षा, एससीईआरटी, बीईपी या कोई और निदेशालय या विभाग, चाहे जिसकी भी बात कर लीजिए शिक्षा विभाग के लोग संक्रमितों का नाम गिनाने लगते हैं। शायद ही कोई जिला शिक्षा कार्यालय हो जहां के लोग संक्रमण से बरी हों। स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, डीबीटी आदि विभाग के जरूरी उपक्रमों के कुछेक अफसरों के सपरिवार संक्रमित हो जाने से विभाग के कामकाज पर भी गहरा असर पड़ा है। फील्ड विजिट से लेकर बैठक, समीक्षा आदि समय की नजाकत को देखते हुए बंद हैं। आलाधिकारी अपने मातहतों से सुरक्षित रहकर काम लेने में जुटे हैं ताकि किसी तरह का कोई गतिरोध न उत्पन्न हो। पिछले सप्ताह 2 ही कार्यदिवस होने से राहत थी, लेकिन इस सप्ताह कोई छुट्टी नहीं है।


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