राष्ट्रनायक न्यूज

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मिट्टी के छप्पर में रहने वाला गरीब किसान का बेटा हिमांशु बना बिहार टॉपर

मिट्टी के छप्पर में रहने वाला गरीब किसान का बेटा हिमांशु बना बिहार टॉपर

  • हिमांशु बाजारों में शब्जी बेचने के साथ करता था पढ़ाई

लहरो से डरकर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।

डाॅ. सुनिल प्रसाद। छपरा

शाबाश हिमांशु!! तुमने लाखो गरीब, निर्धन व सीमित संसाधनों के बीच पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत का कार्य किया है। तुमने यह सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा रूपी अस्त्र से गरीबी को भेदा जा सकता है। तुमने बाजारों में अपने पिता के साथ जाकर सब्जी भी बेचा। सीमित संसाधनों में जीवन व्यतीत करते हुए मिट्टी के खपरैल मकान में रहकर पढ़ाई कीं। बिहार टॉपर होने का सपना तुमने भी नही देखा था लेकिन तुम्हारी प्रतिभा एसी में रहकर पढ़ाई करने वालों से आगे निकलते हुए तुम्हे टॉपर होने का सम्मान दिया। तुम्हारे पिता का सीना आज भले 56 इंच का नही हुआ होगा लेकिन गर्व से चौला जरूर हुआ होगा।
तुमने दुनिया को बता दिया कि चाहे लाख सताएं गरीबी, मन मे कुछ कर गुजरने का हौशला हों तो दुनिया का हर मुकाम हाशिल किया जा सकता है।
बिहार बोर्ड 10वीं की परीक्षा में रोहतास के हिमांशु राज ने 96.2% लाकर बिहार टॉपर बने है। हिमांशु राज ने 481 अंक प्राप्त किए हैं। हिमांशु राज के पिता सुभाष सब्जी बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करते है। वे पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। माता मंजू देवी गृहिणी है और हिमांशु से बड़ी एक बहन है जो इंटर में पढ़ती है। हिमांशु आगे सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहते हैं। ये मुलत: किसान परिवार से ताल्लुक रखते है। रोहतास जिला के नटवार कलां गांव के रहने वाले हैं और उच्च विद्यालय, तेनुअज दिनारा के छात्र हैं। इनके पिता की माली हालत ठीक नहीं रहने के कारण वे खेती-बाड़ी के आलावा प्राइवेट ट्यूशन भी पढ़ाते हैं। जिससे इनके परिवार का भरण-पोषण होता है। ये पढ़ाई के साथ-साथ अपने पिताजी के साथ सब्जियां उगाने में मेहनत करते थे आज उनके अथक परिश्रम के वजह से पुरे बिहार में अपने परिवार के साथ-साथ पुरे समाज के मान-सम्मान को बढ़ाया है। इनके गाँव के #मुखिया को जब हिमांशु के टॉपर होने की जानकारी प्राप्त हुई तो वे उसके घर जा कर सभी परिजनों को बधाई दीं तथा कहा कि आज “हिमांशुआ जवन कईलख ओह से गाँव, जिला के सम्मान पूरा बिहार में बढ़ गईल”। उन्होंने हिमांशु को पुरस्कृत भी किया। ईधर कुछ वर्षों में देखने को मिल रहा है कि अभाव की जिंदगी व्यतीत करने वाले छात्र किसी बोर्ड या प्रतियोगी परीक्षा में पढ़ाई के प्रति गहरी लगन से बेहतर सफलता अर्जित कर रहें हैं। वहीं मोबाईल क्रांति के बाद सुविधा सम्पन्न छात्र पढ़ाई को लेकर ज्यादे गंभीर नही दिखते हैं। आज बेटियाँ भी शिक्षा के क्षेत्र में नई मुकाम हाशिल कर रहीं है। राष्ट्रनायक न्यूज हिमांशु के उज्वल भविष्य की कामना के साथ उन्हें व उनके परिजनों को बधाई!